रामदेव को सुप्रीम कोर्ट ने फिर लगाई फटकार, पूछा- क्या माफीनामे का साइज विज्ञापन जितना बड़ा था?

रामदेव को सुप्रीम कोर्ट ने फिर लगाई फटकार, पूछा- क्या माफीनामे का साइज विज्ञापन जितना बड़ा था?

प्रेषित समय :15:08:49 PM / Tue, Apr 23rd, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को योग गुरु रामदेव और उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद को भ्रामक विज्ञापन मामले में एक बार फिर से फटकार लगाई है. कोर्ट में पतंजलि की तरफ से कहा गया कि उन्होंने 67 अखबारों में विज्ञापन देकर माफीनामा छपवाया था. इसमें 10 लाख रुपये का खर्चा आया. इस पर कोर्ट ने उनसे पूछा कि क्या ये माफीनामा उतने ही साइज के थे, जितने साइज के आपके पहले वाले विज्ञापन थे.

कोर्ट ने ये भी पूछा कि क्या आप हमेशा इतने ही साइज का विज्ञापन छपवाते हैं. इस मामले में अब 30 अप्रैल को फिर से सुनवाई होनी है. इस सुनवाई में रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को कोर्ट में हाजिर रहने को कहा गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रामदेव के वकील ने जवाब में कहा कि माफीनामे का साइज विज्ञापनों जितना बड़ा नहीं था, क्योंकि इसकी कीमत बहुत ज्यादा है, लाखों में. जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने रामदेव और बालकृष्ण से कई सवाल पूछे.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने रामदेव से पूछा कि अपने क्या किया? तो उनके वकील मुकुल रोहतगी ने अदालत को बताया कि उन्हें 67 अखबारों में एड दिया, जिसमें दस लाख रुपये का खर्चा आया है. इस पर बेंच रामदेव और बालकृष्ण पर नाराजगी जाहिर करते हुए पूछा कि आपने अपना विज्ञापन कहां प्रकाशित कराया और इसमें इतना वक्त क्यों लगा. क्या ये विज्ञापन उतने ही साइज के थे, क्या आप हमेशा इतने ही साइज का एड देते हैं. इस पर अधिवक्ता ने कहा, नहीं, महोदय.. इसकी कीमत बहुत ज्यादा है.. लाखों रुपये है.

बेंच के सवालों का जवाब देते हुए अधिवक्ता ने कहा कि हमने विज्ञापन नहीं माफीनामा प्रकाशित कराया है. इस पर जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि इसे कल क्यों दायर किया गया? हम अब बंडलों को नहीं देख सकते! इसे हमें पहले ही दिया जाना चाहिए था.

इससे पहले 16 अप्रैल को, सुप्रीम कोर्ट रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद को भ्रामक विज्ञापन मामले में सार्वजनिक माफी मांगने के लिए एक सप्ताह का समय दिया, लेकिन यह भी कहा कि वह अभी उन्हें इस चरण में राहत नहीं देने जा रहा है. शीर्ष अदालत 2022 में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें कोविड टीकाकरण अभियान और चिकित्सा की आधुनिक प्रणालियों को नीचा दिखाने का आरोप लगाया गया है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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