सुनीता जोशी
बैसानी, उत्तराखंड
हमें भी मिलेगा सम्मान,
तब फातिमा शेख जैसा,
उसके लिए करना पड़ेगा,
काम फिर उनके जैसा,
संघर्षों से लड़ना होगा,
सबकुछ त्याग करना होगा,
अपने जीवन की बाधाओं को,
हमें खुद ही हराना होगा,
यदि सब को अपना समझकर,
करेंगे सब की मदद बढ़कर,
फिर मिलेगी किशोरियों को हिम्मत,
सब का जीवन तब होगा आसान,
जब हम करेंगे फातिमा शेख,
जैसा जग में कुछ काम।
(चरखा फीचर)
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-कविताएं: लुप्त होती एक भाषा / एक लड़की का सपना