अंबिका कुमारी
पटना, बिहार
हे भगवान, मुझे अन्न बना दो.
सबके घर का धन बना दो.
सबके ख़ुशी का कारण बना दो.
संसार का अनमोल रत्न बना दो..
अन्न ही हमारा एकमात्र सहारा है.
जीवन जीने का यही गुज़ारा है..
अन्न बिन हम सब अधूरे हैं.
बिन इसके तो हम ज़ीरो हैं..
मुझे सब प्राणियों का हीरो बना दो.
हे भगवान, मुझे अन्न बना दो..
(चरखा फीचर)
कविताएं: लुप्त होती एक भाषा / एक लड़की का सपना