गंगा सप्तमी 13 मई को शाम 5:20 मिनट शुरू होगी और अगले दिन 14 मई 2024 को शाम 6:49 मिनट पर समाप्त होगी. इसलिए उदया तिथि की मान्यता के अनुसार गंगा सप्तमी का त्योहार 14 मई को मनाया जाएगा.
गंगा जी में भूलकर भी न डालें ये चीजें
इस दिन भूलकर भी पुराने कपड़े गंगा जी मे नहीं रखने चाहिए.
गंगा जी में शैंपू, नहाने का साबुन आदि चीजें डालने से बचना चाहिए.
इस दिन पहले से मौजूद हवन और पूजा सामग्री को गंगा जी में डालने से बचना चाहिए.
गंगा स्नान करते समय पवित्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
इस तिथि पर मां गंगा का ध्यान करते हुए स्नान करना चाहिए.
गंगा सप्तमी के दिन गंगा नदी में अशुद्ध वस्तुएं फेंकने से बचना चाहिए.
गंगा सप्तमी पूजा विधि
इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी गंगा में स्नान करें.
मां गंगा को फूलों की माला चढ़ाएं और घर में बनी मिठाई का भोग लगाएं.
इसके बाद मां गंगा की आरती करें.
गंगा सप्तमी पर दीपदान करने का विधान माना जाता है.
गंगा सहस्रनाम स्तोत्र और गायत्री मंत्र गंगा सप्तमी के दिन का जाप करना चाहिए.
किसी भी प्रकार की तामसिक चीजों का सेवन गंगा सप्तमी के दिन न करें.
इस दिन जितना हो सके धार्मिक कार्य करते रहना चाहिए.
इसके अलावा इस दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा करना भी फलदायी होता है.
गंगा सप्तमी के दिन मां गंगा की इस स्तुति का पाठ करें.
गंगा वारि मनोहरि मुरारिचरणच्युतम्. त्रिपुरारिशिराश्चरि पापं पुनतु मां.
देवी सुरेश्वरी भगवती गंगे त्रिभुवंतरिणि तरलतरंगे. शंकरमौलीविहारिणी मम मम मतिरास्तां तव कामले ॥
भागीरथी सुखदायिनी मातास्तव जलमहिमा निगेम ख्यातः नहं जाने तव महिमानं पाहि कृपामयी ममज्ञानम्
हरपादपद्यतरंगिणी गंगे हिमविधुमुक्तधवलतरंगे दूरिकुरु मम दुष्कृतिभारं कुरु कृपया भवसागरपरम
तव जलममलं येनि निपितं परमपदं खलु तेन गृहीतम. मातरगंगे त्वयि यो भक्तः किल तं द्रष्टुं न यमः शक्तः ॥
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