नई दिल्ली. मनी लॉड्रिंग मामलों में गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी को ईडी की हिरासत में तभी भेजा जा सकता है. जब कोर्ट इस बात से संतुष्ट हो कि पूछताछ के लिए कस्टडी में भेजने की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि स्पेशल कोर्ट में मनी लॉन्ड्रिंग का केस पहुंच गया है तो प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) आरोपी को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के सेक्शन 19 के तहत गिरफ्तार नहीं कर सकता.
जस्टिस अभय ओका व जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने यह आदेश पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के उस फैसले पर दिया है. जिसमें हाईकोर्ट ने आरोपियों की प्री-अरेस्ट बेल याचिका खारिज कर दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस साल जनवरी में आरोपियों को अंतरिम जमानत दी थी. यह केस जमीन घोटाले से जुड़ा है. जिसमें कुछ रेवेन्यू अफसरों को मनी लॉन्ड्रिंग के तहत आरोपी बनाया गया था. पीठ ने कहा कि अदालत के समन के बाद अगर आरोपी पेश हुआ है तो यह नहीं माना जा सकता कि वो गिरफ्तार है. एजेंसी को संबंधित अदालत में कस्टडी के लिए अप्लाई करना होगा. वहीं ईडी की गिरफ्तारी पर तीन टिप्पणियां भी की गई है कि मनी लॉन्ड्रिंग का आरोपी अगर कोर्ट के समन के बाद पेश होता है तो उसे जमानत की अर्जी देने की जरूरत नहीं है. ऐसे में पीएमएलए के सेक्शन 45 के तहत जमानत की शर्तें भी लागू नहीं हैं. कोर्ट समन के बाद अगर आरोपी पेश होता है तो उसकी रिमांड के लिए ईडी को विशेष अदालत में आवेदन देना होगा. कोर्ट तभी एजेंसी को कस्टडी देगी जब वह संतुष्ट हो जाएगी कि कस्टडी में पूछताछ जरूरी है. इस मामले पर पिछली सुनवाई 30 अप्रैल को हुई थी. तब सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया था कि अगर कोर्ट ने पीएमएलए के तहत आरोपी को समन भेजा और वह पेश हुआ है तो क्या वो सीआरपीसी के तहत जमानत के लिए आवेदन कर सकता है. 30 अप्रैल को कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. आज कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दिल्ली के इनकम टैक्स ऑफिस में लगी भीषण आग, खिड़कियों से कूदे कर्मचारी, 21 गाडिय़ां मौके पर पहुंची
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