कुंडली में मंगल योग है तो घबराने की जरुरत नहीं!

कुंडली में मंगल योग है तो घबराने की जरुरत नहीं!

प्रेषित समय :21:03:15 PM / Mon, May 20th, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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जब किसी कुण्डली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम अथवा द्वादश भाव में मंगल होता है तब मंगलिक योग होता है. इस योग  को विवाह के लिए अशुभ माना जाता है. यह योग जिनकी कुण्डली में हो, उन्हें मंगली जीवनसाथी ही तलाश करना चाहिए, ऐसी मान्यता है.

जिनकी कुण्डली में मांगलिक योग है वे अगर 28 वर्ष के पश्चात विवाह करते हैं, तब मंगल वैवाहिक जीवन में अपना दुष्प्रभाव नहीं डालता है. शादी से पहले अक्सर लोग होने वाले वर-वधू की कुंडली मिलवाते हैं. यदि किसी की कुंडली में मंगल योग निकल आता है तो घबराने की जरुरत नहीं क्योंकि शास्त्रीय उपायों से सभी प्रकार के मंगल दोष को दूर किया जा सकता है.

मांगलिक का गैर मांगलिक से ऐसे हो सकता है विवाह
ऐसा होने से नहीं लगता है वैवाहिक जीवन में मांगलिक दोष

1. मंगल दोष के परिहार स्वयं की कुंडली में (मंगल भी निम्न लिखित परिस्तिथियों में दोष कारक नहीं होगा)—जैसे शुभ ग्रहों का केंद्र में होना,गुरु मंगल साथ हों या मंगल पर गुरु की दृष्टि हो तो मांगलिक दोष का परिहार हो जाता है.
2. वर-कन्या की कुंडली में आपस में मांगलिक दोष का परिहार ---जैसे एक के मांगलिक स्थान में मंगल हो और दूसरे के इन्हीं स्थानों में सूर्य, शनि, राहू, केतु में से कोई एक ग्रह हो तो दोष नष्ट हो जाता है.
3. मेष का मंगल लग्न में, धनु का द्वादश भाव में, वृश्चिक का चौथे भाव में, वृष का सप्तम में, कुंभ का आठवें भाव में हो तो भौम दोष नहीं रहता.
4. कुंडली में मंगल यदि स्व-राशि (मेष, वृश्चिक), मूलत्रिकोण, उच्चराशि (मकर), मित्र राशि (सिंह, धनु, मीन) में हो तो भौम दोष नहीं रहता है.
5. सिंह लग्न और कर्क लग्न में भी लग्नस्थ मंगल का दोष नहीं होता है. शनि, मंगल या कोई भी पाप ग्रह जैसे राहु, सूर्य, केतु अगर मांगलिक भावों (1,4,7,8,12) में कन्या जातक के हों और उन्हीं भावों में वर के भी हों तो भौम दोष नष्ट होता है. यानी यदि एक कुंडली में मांगलिक स्थान में मंगल हो तथा दूसरे की में इन्हीं स्थानों में शनि, सूर्य, मंगल, राहु, केतु में से कोई एक ग्रह हो तो उस दोष को काटता है.
6. कन्या की कुंडली में गुरू यदि केंद्र या त्रिकोण में हो तो मांगलिक दोष नहीं लगता अपितु उसके सुख-सौभाग्य को बढ़ाने वाला होता है.
7. कुंडली के 1,4,7,8,12वें भाव में मंगल यदि चर राशि मेष, कर्क, तुला और मकर में हो तो भी मांगलिक दोष नहीं लगता है.
8. वर की कुण्डली में मंगल जिस भाव में बैठकर मंगली दोष बनाता हो कन्या की कुण्डली में उसी भाव में सूर्य, शनि अथवा राहु हो तो मंगल दोष का शमन हो जाता है.
9. जन्म कुंडली के 1,4,7,8,12,वें भाव में स्थित मंगल यदि स्व, उच्च मित्र आदि राशि -नवांश का, वर्गोत्तम ,षड्बली हो तो मांगलिक दोष नहीं होगा.
10. यदि 1,4,7,8,12 भावों में स्थित मंगल पर बलवान शुभ ग्रहों बृहस्पति की पूर्ण दृष्टि हो तो भी मांगलिक दोष नहीं लगता
11. दशा आदि का भी विचार करना चाहिए 

Acharya Ashutosh badoni

सनातन धर्म का प्रचार। ज्योतिष एवं यज्ञ अनुष्ठान

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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