आधुनिकता के दौर में कई परिवारों में घर के अंदर भी जूते-चप्पल पहनने का चलन बढ़ गया है. जबकि पुराने समय में जूते-चप्पल को घर के बाहर ही रखा जाता था. इस संबंध में विद्वानों का मानना है कि घर में चरण पादुकाएं यानि जूते-चप्पल नहीं पहनने चाहिए.
इसकी वजह यह है कि जब हम कहीं बाहर से घर आते हैं तब जूते-चप्पल में लगकर गंदगी भी साथ आती है. ऐसे में यदि हम वही जूते-चप्पल घर के अंदर लेकर जाते हैं तो वह गंदगी घर में फैलती है. जो कि परिवार के सदस्यों के लिए भी स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक होती है. इस गंदगी में कई प्रकार के बीमारियां फैलाने वाले कीटाणु रहते हैं.
इस बात के पीछे कई धार्मिक कारण भी है. घर में देवी-देवताओं का स्थान भी होता है. जहां हम रहते हैं वहां सभी दैवीय शक्तियां भी निवास करती हैं.
यदि हम जूते-चप्पल पहनकर घर में घुमते हैं तो भगवान का भी अपमान होता है. आजकल कुछ लोग अपने-अपने घरों में परमात्मा के लिए अलग पूजा स्थल या कमरा बनवाते हैं. इसके अलावा घर में कई स्थानों पर भगवान से संबंधित वस्तुएं रखी रहती है जो कि ईश्वर का ही प्रतीक स्वरूप रहती हैं. उनके सामने चरण पादुका यानि जूते-चप्पल पहनकर जाना अनुचित है.
घर में नंगे पैर ही रहना चाहिए या फिर घर के लिए अलग चप्पल, या खड़ाऊं रखनी चाहिए.इससे घर की पवित्रता बनी रहती है और देवी-देवता भी स्थाई रूप से निवास करते हैं और भगवान की कृपा बनी रहती है.
भगवान की कृपा से उस घर में किसी भी प्रकार धन, सुख-समृद्धि की कोई कमी नहीं रहती.
किचन में खाना बनता है जिसका नैवैद्य भगवान को लगता है. कहते हैं किचन में अन्नपूर्णा देवी भी निवास करती हैं. ऐसे में यदि हम जूते-चप्पल पहनकर किचन में घुमते हैं तो भगवान का भी अपमान होता है. इसलिए किचन में या तो नंगे पैर ही रहना चाहिए, या फिर किचन के लिए भी अलग चप्पल, या खड़ाऊं रखनी चाहिए.
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