इसके लिए हमारे वास्तु शास्त्र के पौराणिक ग्रँथों में आता है कि हमारे घर/भवन में या उसके साथ-आस पास कांटेदार,फलदार,दूधवाले पौधे नुकसान देनेवाले होते हैं.अतः नहीं लगाना चाहिए.
इसकी चर्चा पिछले पोस्ट में कर चुके हैं!
आज शुभ पौधे कौन कौन से हैं,
वट: पुरस्ताद धन्य: स्याद दक्षिणे चाप्युदुम्बर:.
अश्वत्थ: पश्चिमे भागे प्लक्षस्तुत्तरतो भवेत..(वृ. संहिता)
उद्गादिषु प्रशस्ता: प्लक्षवटोदुम्बराश्वत्था: ..
सौम्यादे: शुभदौ कपित्थक-वटावौदुम्बराश्वत्थकौ..(वृ.वा. मा.)
इशाने रोपयेद्धात्रीम नैऋत्ये चिंचणीद्रुमान.
आग्नेय्यां दाड़िमं चैव वायव्ये विल्ववृक्षकम..
Upendra vastu resolve
प्लक्षोत्तरे पूर्ववट प्रशस्तं ह्यदुम्बरं दक्षिण भागके च.
अश्वत्थवृक्ष दिशि वारुणस्यां मध्ये तथाम्रान्विविध प्रकारान..
याम्यनैऋत्ययोर्मध्ये तथा जम्बुकदम्बकौ.
पनसश्च तथाम्रश्च प्रश्स्तौ शम्भुपूर्वयो:..
उपरोक्त श्लोकानुसार---
घर/भवन के आस पास पूर्व में बरगद, दक्षिण में गूलर,
पश्चिम में पीपल एवं उत्तर दिशा में पाकड़ का पौधा शुभ होता है.
इसीप्रकार ईशानकोण में आंवला, अग्निकोण में अनार,
नैऋत्यकोण में इमली एवं वायव्यकोण में विल्व वृक्ष शुभ हैं.
दक्षिण एवं नैऋत्य के मध्य में जामुन या कदम्ब का वृक्ष,
ईशान एवं पूर्व के मध्य में कटहल या आम के पौधे शुभ होते हैं.
पौधे लगाने के लिए विशेष नक्षत्रों के बारे में आता है:---
ध्रुवमृदुमूलविशाखा गुरुभं श्रवण स्तथाश्विनी हस्तः.
उक्तानि दिव्यदृग्भि: पादप संरोपणे भानि..
अर्थात---
तीनों उत्तरा, रोहिणी, अनुराधा, मृगशिरा, रेवती, चित्रा, मूल,विशाखा, पुष्य,श्रवण, अश्विनी एवं हस्त नक्षत्र वृक्षारोपण के लिए शुभ होते हैं, ऐसा दिव्यदृष्टि वाले प्राचीन महर्षियों का मत है.
और भी अनेक प्रकार के वृक्षों/पौधे के बारे में चर्चा मिलती है.
आज के लिए बस इतना समय मिलने पर अगली चर्चा करेंगे.
ज्योतिष वास्तु सलाहकार उपेंद्र कुमार पटना(बिहार)
Upendra Vastu Resolve
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-ये हैं वास्तु की 8 दिशाओं में किए जा सकने वाले निर्माण और शुभ गतिविधियां
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