केंद्रीय कर्मियों के लिए आठवें वेतन आयोग का शीघ्र गठन करे भारत सरकार, शिवगोपाल मिश्रा ने लिखा पत्र

केंद्रीय कर्मियों के लिए आठवें वेतन आयोग का शीघ्र गठन करे भारत सरकार, शिवगोपाल मिश्रा ने लिखा पत्र

प्रेषित समय :20:10:52 PM / Wed, Jun 12th, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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नई दिल्ली. केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन/भत्तों/पेंशन और अन्य लाभों को संशोधित करने के लिए 8वें केंद्रीय वेतन आयोग के अविलंब गठन की मांग को लेकर आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन (एआईआरएफ) के महासचिव व जेसीएम स्टाफ साइड के सचिव कामरेड शिवगोपाल मिश्रा ने केंद्रीय केबिनेट सचिव को एक पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि  कर्मचारियों की इस मांग को गंभीरता के साथ लेते हुए अविबंल वेतन आयोग का गठन किया जाए.

इस संबंध में एआईआरएफ के असिस्टेंट जनरल सैक्रेट्री व डबलूसीआरईयू के महासचिव काम. मुकेश गालव ने बताया कि नेशनल काउंसिल (स्टाफ साइड) के सचिव व एआईआरएफ के जनरल सैक्रेट्री का. शिवगोपाल मिश्रा ने एक पत्र केबिनेट सचिव को लिखा है, जिसमें कहा गया है कि 7वें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशें सरकार द्वारा 14.01.2018 से लागू की गईं.

01.01.2016. हालांकि, कर्मचारी पक्ष ने 7वीं सीपीसी और उसके बाद भारत सरकार से न्यूनतम वेतन को संशोधित कर रु. 01.01.2016 को 26,000/- प्रति माह की गणना आईएलसी मानदंडों और डॉ. अकरोयड फॉर्मूला आदि के विभिन्न घटकों के आधार पर की गई है. हमने 7वें सीपीसी से पहले यह भी प्रस्तुत किया है कि राष्ट्रीय परिषद के कर्मचारी पक्ष द्वारा प्रस्तावित न्यूनतम वेतन ( जेसीएम) अभी भी निचले स्तर पर है. दुर्भाग्य से हमारे सभी तर्कों को 7वीं सीपीसी ने बिना किसी आधार के खारिज कर दिया और रुपये की सिफारिश की. 18,000/- न्यूनतम वेतन के रूप में दिनांक 01.07.2017 से. 01.01.2016. जबकि स्टाफ पक्ष ने मांग की कि फिटमेंट फैक्टर 3.68 प्रतिशत होना चाहिए, 7वीं सीपीसी ने केवल 2.57 प्रतिशत की सिफारिश की, जिस पर सरकार ने स्टाफ पक्ष के साथ कोई बातचीत किए बिना सीधे सहमति व्यक्त की, जो आमतौर पर होती है. 7वीं सीपीसी की प्रतिकूल सिफारिशों और कर्मचारी पक्ष के साथ कोई चर्चा किए बिना और कर्मचारी पक्ष द्वारा दिए गए प्रस्तावों पर विचार किए बिना सरकार द्वारा इसे स्वीकार करने से व्यथित होकर, राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के घटक संगठनों ने हड़ताल की.

पत्र में कहा गया है कि सरकार ने कर्मचारी पक्ष के साथ बातचीत के लिए मंत्रियों की एक समिति गठित की गई थी. राजनाथ सिंह गृह मंत्री, स्वर्गीय अरुण जेटली तत्कालीन वित्त मंत्री, सुरेश प्रभु तत्कालीन रेल मंत्री, और मनोज सिन्हा तत्कालीन रेल राज्य मंत्री चर्चा के बाद सरकार इस बात पर सहमत हुई कि कर्मचारी पक्ष की मांगों को पूरा करने के लिए उनके साथ आगे चर्चा की जाएगी. एक सौहार्दपूर्ण समझौता. मंत्रियों की समिति द्वारा दिए गए आश्वासन के आधार पर अनिश्चितकालीन हड़ताल भी स्थगित की थी. दुर्भाग्य से सरकार द्वारा कर्मचारी पक्ष के साथ बातचीत करने और न्यूनतम वेतन और फिटमेंट फैक्टर बढ़ाने के लिए कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया. सरकार खुद कहती है कि मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत से 7 प्रतिशत के बीच है, औसतन यह लगभग 5.5 प्रतिशत होगी. कोविड के बाद मुद्रास्फीति प्री-कोविड स्तर से अधिक है.

महंगाई में 80 फीसदी से ज्यादा वृद्धि

पत्र में कहा गया है कि यदि हम 2016 से 2023 तक दैनिक जीवन के लिए आवश्यक आवश्यक वस्तुओं और वस्तुओं की खुदरा कीमतों की तुलना करें तो स्थानीय बाजार के अनुसार उनमें 80 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, लेकिन हमें 1/7 के अनुसार लगभग 46 प्रतिशत महंगाई भत्ता ही प्रदान किया जाता है. /2023. इसलिए वास्तविक मूल्य वृद्धि और कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को दिए जाने वाले डीए के बीच अंतर है.

केंद्रीय संस्थानों में 10 लाख पद रिक्त, दबाव में काम कर रहा स्टाफ

पत्र में कहा गया है कि लगभग 10 लाख रिक्तियों के साथ केंद्र सरकार के कर्मचारियों की स्टाफ संख्या पिछले दशक से कम हो गई है, मौजूदा कर्मचारियों पर काम का दबाव है. वर्ष 2020-21 के लिए केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए वेतन (वेतन) और भत्ते का वास्तविक व्यय कुल राजस्व व्यय का केवल 7.29 प्रतिशत है. पेंशनभोगियों के संबंध में पेंशन पर वास्तविक व्यय कुल राजस्व व्यय का लगभग 4 प्रतिशत है. इसलिए कर्मचारियों की वर्तमान कार्य स्थिति, बढ़ती महंगाई के मद्देनजर तत्काल 8वें वेतन आयोग का गठन करें.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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