पलपल संवाददाता, जबलपुर/डिंडौरी. भारतीय संस्कृति और प्रजातंत्र को जनजाति ही बल देती है. भारतीय प्रजातंत्र में जनजाति का स्थान भी रीढ़ की हड्डी के बराबर है. उक्ताशय के विचार उप-राष्ट्रपति जगदीप धनकड़ ने डिंडौरी में विश्व सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन विश्व दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि की आसंदी से व्यक्त किए. इस मौके पर उपराष्ट्रपति श्री धनकड़ आदिवासियों के साथ पारम्परिक वाद्ययंत्र पर थिरके. उक्त वाद्ययंत्र को उपराष्ट्रपति व मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी बजाया. इसके बाद विभागों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी भी देखी.
उपराष्ट्रपति श्री धनकड़ ने आगे कहा कि देश के इतिहास में पहली बार एक जनजाति महिला राष्ट्रपति बनती है और पीएम को शपथ दिलाती है. यह गौरव का पल है. कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति ने मध्यप्रदेश के राज्यपाल डॉ मंगू भाई पटेल की तारीफ करते हुए कहा कि राज्यपाल का दिल जनजाति के लिए धड़कता है. उन्होने कहा कि 1989 में जब मैं सांसद बना, केंद्र में मंत्री बना तो हमारी अर्थव्यवस्था लंदन व पेरिस से भी छोटी थी. हमारा सोना स्विटजरलैंड को गिरवी रखा था. अब देखिए हम कहां से कहां आ गए. हमने बहुत सारे देशों को पीछे छोड़ दिया. इसमें जनजाति का बहुत बड़ा योगदान है. भारत की पहचान जनजाति कल्चर है. उपराष्ट्रपति आज पूर्वान्ह करीब 11 बजे डिंडोरी पहुंचे. हेलीपैड से वह कार्यक्रम स्थल चंद्र विजय कॉलेज कैंपस पहुंचे. जहां उन्होंने पौधारोपण किया. वे करीब 1 घंटे 45 मिनट डिंडोरी में रुके. इस दौरान उनके साथ राज्यपाल मंगू भाई पटेल, डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला, पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल, सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते मौजूद रहे. जिले की एक चौथाई आबादी की जांच हो चुकी है जिसमें करीब 13 हजार लोग इससे प्रभावित मिले. कलेक्टर मिश्रा ने बताया कि जिले की जनसंख्या 8 लाख 69 हजार 595 है. स्वास्थ्य विभाग ने अब तक 2 लाख 2 हजार 178 लोगों का परीक्षण किया है. जिनमें से सिकल सेल के 11 हजार 559 वाहक है. जिनमें से 1 हजार 963 मरीज चिह्नित किए गए हैं. जिले के अमरपुर ब्लॉक में सिकल सेल के सबसे ज्यादा 4 हजार 871 वाहक और 1 हजार150 पीडि़त हैं. डाक्टरों का कहना है कि सिकल सेल एनीमिया एक आनुवांशिक बीमारी है. यदि माता पिता दोनों में सिकल सेल के जीन हैं तो बच्चों में इस बीमारी का होना स्वाभाविक है. इस बीमारी में रोगी की लाल रक्त कोशिका हंसिए के आकार में चेंज हो जाती हैं. कोशिकाएं विभिन्न अंगों में पहुंचकर रुकावट पैदा करती हैं. पीडि़त बच्चे को बुखार, सर्दी, पेट दर्द,जोड़ो व घुटनों में दर्द सूजन और खून की कमी से परेशान रहता है. हालांकि कई मामलों में अनुवांशिक न होने पर भी ये बीमारी अब सामने आ रही है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जबलपुर के माढ़ोताल क्षेत्र से लापता हुई बालिका बनारस में मिली..!
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