नई दिल्ली. लोकसभा अध्यक्ष को लेकर इस बार सदन में रस्साकसी होने की संभावना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 जून को नए लोकसभा अध्यक्ष के नाम का प्रस्ताव रख सकते हैं. यह घोषणा 24 जून से 3 जुलाई तक चलने वाले 18वें लोकसभा सत्र की शुरुआत के साथ की जाएगी. जिसमें जुलाई के अंत में बजट सत्र को फिर से बुलाए जाने की उम्मीद है. खबर है कि भाजपा आम चुनाव में 240 सीटें हासिल करने के बाद 18वीं लोकसभा के लिए अध्यक्ष का पद बरकरार रखना चाहती है. यदि लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा तो यह देश के इतिहास में पहली बार होगा.
लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए संभावित उम्मीदवारों में भाजपा के आंध्र प्रदेश अध्यक्ष दग्गुबाती पुरंदेश्वरी व अमलापुरम से पहली बार टीडीपी सांसद जीएम हरीश बालयोगी शामिल हैं. वर्तमान अध्यक्ष ओम बिड़ला भी दोबारा चुनाव की दौड़ में हैं. 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने 240 सीटें हासिल कीं और बहुमत से पीछे रह गई. एन चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी व नीतीश कुमार की जेडीयू जैसे सहयोगियों का सरकार बनाने में महत्वपूर्ण रही हैं. वहीं विपक्ष के इंडिया गुट ने इस बात पर जोर देते हुए कहा है कि लोकसभा अध्यक्ष का पद भाजपा के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सहयोगियों को आवंटित किया जाना चाहिए. जनता दल यूनाइटेड व तेलुगु देशम पार्टी इस विवादास्पद विषय पर अलग-अलग राय रखती हैं. जबकि नीतीश कुमार की जदयूद्ध ने कहा कि वह भाजपा के फैसले का समर्थन करेगी. एन चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी ने कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन के सहयोगियों को एक आम सहमति वाले उम्मीदवार को अंतिम रूप देना चाहिए. लोकसभा के लिए नए अध्यक्ष के चुनाव की तारीख की घोषणा ने इस बात को लेकर अटकलें तेज कर दी हैं कि 26 जून को यह भूमिका कौन निभा सकता है. एनडीए के सहयोगियों की इस पर निर्णय लेने के लिए 22 जून या 23 जून के आसपास बैठक होने की संभावना है. शिवसेना यूटीबी नेता संजय राउत का कहना है कि यदि टीडीपी लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव के लिए उम्मीदवार खड़ा करती है तो विपक्षी इंडिया गुट के सभी सहयोगी टीडीपी के लिए समर्थन सुनिश्चित करेंगे. राउत ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव महत्वपूर्ण है. आरोप लगाया कि अगर भाजपा को यह पद मिलता हैए तो वह टीडीपीए जदयू, चिराग पासवान व जयंत चौधरी के राजनीतिक संगठनों को तोड़ देगी. राउत ने कहा हमें अनुभव है कि भाजप उन लोगों को धोखा देती है जो उसका समर्थन करते हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने यह भी दावा किया कि यदि भाजपा को स्पीकर का पद मिला तो वह जेडीयू व टीडीपी सांसदों की खरीद-फरोख्त शुरू कर देगी. इंडिया गठबंधन को अभी भी एनडीए में फूट की उम्मीद है. आम आदमी पार्टी ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि टीडीपी व जेडीयू को यह तय करना चाहिए कि लोकसभा अध्यक्ष किसी एक पार्टी से होना चाहिए क्योंकि यह संविधान व लोकतंत्र के हित में होगा. इंडिया गुट के नेता बार-बार दावा कर रहे हैं कि अगर उपाध्यक्ष का पद उसके हिस्से में नहीं आता है तो विपक्ष भी अपना उम्मीदवार उतार सकता है.
ऐसा पहली बार होगा-
विपक्ष अगले सप्ताह लोकसभा अध्यक्ष के पद के लिए उम्मीदवार उतारकर यदि चुनाव की स्थिति उत्पन्न करता है तो यह स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार होगा. क्योंकि पीठासीन अधिकारी का चयन हमेशा आम सहमति से होता रहा है. स्वतंत्रता से पहले संसद को केंद्रीय विधानसभा कहा जाता था. अध्यक्ष पद के लिये पहली बार चुनाव 24 अगस्त 1925 में हुआ था जब स्वराजवादी पार्टी के उम्मीदवार वि_लभाई जे पटेल ने टी रंगाचारियर के खिलाफ यह चुनाव जीता था. लोकसभा में अपनी बढ़ी हुई ताकत से उत्साहित विपक्षी गठबंधन इंडिया अब आक्रामक तरीके से उपाध्यक्ष के पद की मांग कर रहा है. जो परंपरागत रूप से विपक्षी दल के सदस्य के पास होता है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दिल्ली-नोएडा में भीषण गर्मी से मचा हाहाकार, 19 लोगों की मौत, अलग-अलग जगहों से बरामद हुए शव
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