Mathura: प्रेमानंद महाराज ने रात्रि पदयात्रा बंद की, इसलिए लिया निर्णय, बोले- श्रद्धालु रास्ते में दर्शन के लिए खड़े न हों

Mathura: प्रेमानंद महाराज ने रात्रि पदयात्रा बंद की, इसलिए लिया निर्णय, बोले- श्रद्धालु रास्ते में दर्शन के लिए खड़े न हों

प्रेषित समय :15:51:00 PM / Thu, Jul 4th, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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मथुरा. हाथरस हादसे के बाद प्रेमानंद महाराज ने मथुरा में अपनी रात की पदयात्रा को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दी है. श्रीहित राधा केली कुंज परिकर की ओर से जारी लेटर में लिखा- हाथरस में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना हृदय विदारक और अत्यंत दुखद है. हादसे में हम सबकी सवेदनाएं परिजनों के साथ हैं.

भविष्य में ऐसी कोई भी घटना न घटे, ऐसी ठाकुर जी के चरणों में प्रार्थना है. प्रेमानंद महाराज ने कहा- कृपया कोई भी श्रद्धालु रात में रास्ते में दर्शन के लिए खड़े न हों. न ही रास्ते में किसी प्रकार की भीड़ लगाएं. इधर, बागेश्वर धाम वाले पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने आज (4 जुलाई) अपने जन्मदिन पर होने वाले कार्यक्रम को रद्द कर दिया है. इस कार्यक्रम में लाखों की संख्या में लोगों के आने की उम्मीद थी.

दो किलोमीटर पैदल चलते हैं संत प्रेमानंद

संत प्रेमानंद महाराज रात 2.30 बजे श्रीकृष्ण शरणम् सोसाइटी से रमणरेती स्थिति आश्रम हित राधा केली कुंज के लिए निकलते हैं. 2 किलोमीटर पैदल चलकर जाते हैं. इस दौरान उनके हजारों अनुयायी एक झलक पाने को गर्मी, बारिश, सर्दी में सड़क के दोनों ओर पलक पांवड़े बिछाए खड़े रहते हैं.

फूलों से पट जाता है रास्ता

रात में जब संत प्रेमानंद महाराज आश्रम के लिए निकलते हैं, तब उनके अनुयायी रास्ते भर फूलों से रंगोली बनाते हैं. निवास से लेकर आश्रम तक का रास्ता फूलों से पट जाता है. बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं हर कोई एक झलक पाने को उनका इंतजार करता है. जगह-जगह उनकी आरती उतारी जाती है.

प्रेमानंद महाराज और पं. प्रदीप बयान को लेकर चर्चा में रहे

राधारानी के जन्म और श्रीकृष्ण से उनके विवाह को लेकर देश के प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा और संत प्रेमानंद महाराज में विवाद शुरू हो गया. दरअसल, प्रदीप मिश्रा ने कहा था- राधा के पति का नाम अनय घोष, उनकी सास का नाम जटिला और ननद का नाम कुटिला था. राधाजी का विवाह छाता में हुआ था. राधाजी बरसाना की नहीं, रावल की रहने वाली थीं. बरसाना में तो राधाजी के पिता की कचहरी थी, जहां वह साल भर में एक बार आती थीं.

विरोध में प्रेमानंद महाराज ने कहा- 4 श्लोक क्या पढ़ लिए, प्रवक्ता बन गए? तुझे नरक से कोई नहीं बचा सकता. हमें गाली दो तो चलेगा. लेकिन तुम हमारे इष्ट, हमारे गुरु, हमारे धर्म के खिलाफ बोलोगे, उनका अपमान करोगे, तो हम ये बर्दाश्त नहीं करेंगे. तुम्हें बोलने लायक नहीं छोड़ेंगे. इसके बाद प्रदीप मिश्रा ने बरसाना मंदिर में नाक रगड़कर माफी मांगी थी.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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