पलपल संवाददाता, जबलपुर. एमपी के जबलपुर, ग्वालियर व इंदौर उच्च न्यायालय में पदस्थ कर्मचारियों का वेतन न बढ़ाए जाने पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है. इस मामले में हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा की डिवीजन बेंच ने कहा कि सरकार जल्द से जल्द मामले में निर्णय ले, नहीं तो कड़ी कार्यवाही के लिए तैयार रहे. हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार की ओर ओर से कहा गया है कि थोड़ा मोहलत दी जाए. हाईकोर्ट ने सरकार ने तीन सप्ताह का समय दिया है इसके बाद मामले की फिर से सुनवाई होगी. वेतन को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी.
एमपी हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा की युगलपीठ ने सात वर्ष पुरानी याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार से पूछा कि आखिर किन कारणों से इस मामले में चुप्पी साधे हुए बैठे हो. क्यों कोर्ट में पदस्थ कर्मचारियों का वेतन नहीं बढ़ाया गया है. हाईकोर्ट की सख्ती के बाद मामले में मुख्य सचिव वीरा राणा ने वर्चुअल पेश होकर कहा कि वर्तमान में विधानसभा का सत्र चल रहा है, जल्द ही इस मामले में निर्णय ले लिया जाएगा. सरकार को मोहलत दी जाए. राज्य सरकार के निवेदन पर हाईक ोर्ट ने मुख्य सचिव वीरा राणा के बयान को रिकार्ड में लेकर तीन सप्ताह के अंदर पूर्व आदेश के पालन की रिपोर्ट मांगी है. गौरतलब है कि वर्ष 2016 में 109 कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए उनके वेतन वृद्धि की मांग की थी. जिस पर सुनवाई चल रही है लेकिन सरकार की ओर से कोई फैसला न लेने के कारण फिर वर्ष 2018 में एक अवमानना याचिका लगाई गई थी जिस पर सुनवाई करते हुए पूर्व चीफ जस्टिस द्वारा वेतन बढ़ोतरी को लेकर सरकार को फैसला करने के निर्देश दिए थे. राज्य सरकार ने एक बंद लिफाफे में रिपोर्ट भी पेश की थी. लेकिन आज तक कर्मचारियों के वेतन वृद्धि पर कोई भी निर्णय नहीं लिया गया. जिस पर हाईकोर्ट ने सख्त रवैया अपनाते हुए तीन हफ्ते के अंदर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-भीषण बाढ़ से असम में 56 की मौत, एमपी-राजस्थान सहित 17 राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट
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