नई दिल्ली. राज्यसभा से भाजपा के चार सदस्य शनिवार को रिटायर हो गए. ये सभी मनोनीत थे. इसके साथ ही उच्च सदन में पार्टी के सांसदों की संख्या घटकर 86 हो गई है. NDA के सदस्यों की संख्या 101 है. राज्यसभा के सदस्यों की वर्तमान संख्या 226 है. 19 पद खाली हैं.
सदस्यों की संख्या घटने से अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या भाजपा को बिल पास कराने के लिए दूसरी पार्टियों की मिन्नतें करनी होगी? इसका जवाब हां है. क्योंकि एनडीए का संख्या बल 101 राज्यसभा में बिल पास कराने के लिए जरूरी बहुमत से कम है.
एनडीए को लेनी होगी दूसरी पार्टियों की मदद
एनडीए को आने वाले बजट सत्र के दौरान बिल पास कराने के लिए सात गुटनिरपेक्ष मनोनीत सदस्यों, दो निर्दलीय और एआईएडीएमके और वाईएसआरसीपी जैसे दलों के समर्थन की जरूरत होगी. मनोनीत श्रेणी के तहत खाली पदों को जल्द से जल्द भरने से एनडीए की दूसरों पर निर्भरता कम होगी.
राकेश सिन्हा, राम शकल, सोनल मानसिंह और महेश जेठमलानी चार मनोनीत सदस्य हैं जो शनिवार को रिटायर हुए. राज्यसभा में मनोनीत होने के बाद उन्होंने औपचारिक रूप से भाजपा से नाता जोड़ लिया था. मनोनीत श्रेणी में एक और सदस्य गुलाम अली हैं. वह भाजपा में हैं. वे सितंबर 2028 में रिटायर होंगे.
राष्ट्रपति द्वारा केंद्र सरकार की सिफारिश पर राज्य सभा में 12 सदस्यों को मनोनीत किया जाता है. मौजूदा सदन में मनोनीत सात सदस्यों ने खुद को गुटनिरपेक्ष रखा है. वे भाजपा का हिस्सा नहीं हैं. हालांकि वे किसी भी कानून या प्रस्ताव को पास करने में हमेशा सत्ताधारी पार्टी का पक्ष लेते हैं.
राज्यसभा में 19 सीटें हैं खाली, 11 सीटों के लिए होगा चुनाव
इस समय राज्य सभा में सांसदों के 19 पद खाली हैं. इनमें चार जम्मू-कश्मीर और चार मनोनीत कैटेगरी के हैं. असम, बिहार और महाराष्ट्र के दो-दो, हरियाणा, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, राजस्थान और त्रिपुरा के एक-एक राज्यसभा सदस्य की सीट खाली है. इन 11 में से 10 सीटें पिछले महीने लोकसभा चुनाव के चलते खाली हुईं हैं. एक सीट भारत राष्ट्र समिति के सदस्य के केशव राव के इस्तीफा देने के चलते खाली हुई है. राव बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए.
इन 11 सीटों के लिए आने वाले महीनों में चुनाव होना है. इनमें से आठ सीटों पर एनडीए और तीन पर विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया को जीत मिल सकती है. इसके साथ ही राज्यसभा में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 27 हो जाएगी. यह संख्या बल राज्यसभा में विपक्ष के नेता का पद अपने पास बनाए रखने से दो अधिक होगा.
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