अभिमनोज
मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार, 19 जुलाई 2024 को केंद्र सरकार के लाए नए आपराधिक कानूनों को असंवैधानिक और अधिकारहीन घोषित करने की डीएमके की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है.
खबरों की मानें तो.... अदालत ने कहा कि- केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कानून लोगों में भ्रम पैदा कर रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि.... इसी 1 जुलाई 2024 से लागू हुए नए कानून- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने इंडियन पैनल कोड, दंड प्रक्रिया संहिता और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह ली है.
इस याचिका में याचिकाकर्ता आरएस भारती का कहना है कि- अधिनियमों का हिंदी, संस्कृत में नामकरण संविधान के अनुच्छेद 348 का उल्लंघन है, जिसमें कहा गया है कि संसद के किसी भी सदन में पेश किए जाने वाले सभी विधेयकों का आधिकारिक टेक्स्ट अंग्रेजी में होना चाहिए.
इस याचिका की सुनवाई जस्टिस एसएस सुन्दर और जस्टिस एन सेंथिल कुमार की खंडपीठ कर रही है.
इस दौरान अदालत ने केंद्र को नोटिस जारी करने का आदेश दिया और जवाब देने के लिए चार हफ्ते का समय दिया.
याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि.... केंद्र सरकार ने तीनों विधेयक पेश किए और बिना किसी सार्थक चर्चा के उन्हें संसद से पारित करा लिया, किसी भी ठोस बदलाव के धाराओं में बदलाव करना अनावश्यक है और इससे प्रावधानों की व्याख्या में न केवल असुविधा होगी, भ्रम पैदा होगा, धाराओं में बदलाव से जजों, वकीलों, कानून लागू करने वाले अधिकारियों सहित आम जनता के लिए नए प्रावधानों को पुराने प्रावधानों के साथ जोड़ना, व्याख्या करना और संदर्भ के लिए मिसाल तलाशना बहुत मुश्किल हो जाएगा.
खबरों पर भरोसा करें तो.... याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि- केंद्र सरकार यह दावा नहीं कर सकती कि यह संसद में बनाया गया कानून था, यह कानून संसद के केवल सत्तारूढ़ दल और उसके सहयोगियों ने बनाए थे, विपक्षी दलों को इससे दूर रखा गया, लिहाजा.... इस पर कोई सार्थक चर्चा नहीं हुई.
नए कानूनों को लेकर कई उलझनें हैं, देखना होगा कि इसका क्या समाधान होता है?
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