ढाका. बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण बहाली के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ हिंसा जारी है. इस पर काबू पाने के लिए सरकार ने पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया है. प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी के जनरल सेक्रेटरी ओबैदुल कादर ने शुक्रवार (19 जुलाई) देर रात कर्फ्यू लगाने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि हिंसा काबू करने के लिए सेना को तैनात किया गया है.
शुक्रवार को पुलिस और सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इसमें 105 लोग मारे गए हैं. बांग्लादेश में बढ़ते तनाव के बीच अब तक 405 भारतीय स्टूडेंट्स अपने घर लौट आए हैं. ढाका यूनिवर्सिटी को अगले आदेश तक के लिए बंद दिया है. छात्रों को बुधवार तक हॉस्टल खाली करने को कहा गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक प्रदर्शनकारी छात्रों ने शुक्रवार को नरसिंगडी जिले में एक जेल पर धावा बोल दिया था. उन्होंने सैकड़ों कैदियों को जेल से छुड़ाने के बाद वहां आग लगा दी थी. इससे पहले गुरुवार को सैकड़ों प्रदर्शनकारी बीटीवी ऑफिस के कैंपस में घुस आए और 60 से ज्यादा गाडिय़ां फूंक दी. उसी दिन प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बीटीवी को इंटरव्यू दिया था.
बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर प्रदर्शन की वजह
बांग्लादेश 1971 में आजाद हुआ था. बांग्लादेशी अखबार द डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक इसी साल से वहां पर 80 फीसदी कोटा सिस्टम लागू हुआ. इसमें स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को नौकरी में 30त्न, पिछड़े जिलों के लिए 40 प्रतिशत महिलाओं के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया. सामान्य छात्रों के लिए सिर्फ 20 प्रतिशत सीटें रखी गईं.
1976 में पिछड़े जिलों के लिए आरक्षण को 20 प्रतिशत कर दिया गया. इससे सामान्य छात्रों को 40त्न सीटें हो गईं. 1985 में पिछड़े जिलों का आरक्षण और घटा कर 10 प्रतिशत कर दिया गया और अल्पसंख्यकों के लिए 5 प्रतिशत कोटा जोड़ा गया. इससे सामान्य छात्रों के लिए 45 प्रतिशत सीटें हो गईं. शुरू में स्वतंत्रता सेनानियों के बेटे-बेटियों को ही आरक्षण मिलता था, लेकिन 2009 से इसमें पोते-पोतियों को भी जोड़ दिया गया. 2012 विकलांग छात्रों के लिए भी 1त्न कोटा जोड़ दिया गया. इससे कुल कोटा 56 प्रतिशत हो गया.
6 साल पहले सरकार ने कोटा सिस्टम बंद किया था
साल 2018 में 4 महीने तक छात्रों के प्रदर्शन के बाद हसीना सरकार ने कोटा सिस्टम खत्म कर दिया था, लेकिन बीते महीने 5 जून को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फिर से आरक्षण देने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि 2018 से पहले जैसे आरक्षण मिलता था, उसे फिर से उसी तरह लागू किया जाए. शेख हसीना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अपील भी की मगर सुप्रीम कोर्ट ने अपना पुराना फैसला बरकरार रखा. इससे छात्र नाराज हो गए. अब इसी के खिलाफ पूरे देश में प्रदर्शन हो रहा है.
हिंसा में अब तक 105 लोगों की मौत
अस्पतालों से मिली जानकारी के मुताबिक, इस हफ्ते छात्र प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पों में अब तक कम से कम 105 लोग मारे गए हैं. 2,500 से ज्यादा घायल हुए हैं. इंडिपेंडेंट टेलीविजन ने सिर्फ शुक्रवार को 17 लोगों की मौत की जानकारी दी. सोमोय टीवी ने 30 लोगों की मौत का दावा किया. एक रिपोर्टर ने ढाका मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 23 शव देखे. इससे पहले गुरुवार (18 जुलाई) को 22 लोगों की मौत की खबर आई थी.
405 भारतीय स्टूडेंट्स अपने घर लौटे
बांग्लादेश से अब तक 405 भारतीय स्टूडेंट्स लौट आए हैं. मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने शुक्रवार को बताया कि भारतीय स्टूडेंट्स को डॉकी इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट के जरिए बांग्लादेश से निकाला गया है. उनमें से लगभग 80 मेघालय से हैं और बाकी अन्य राज्यों से हैं. नेपाल, भूटान के कुछ छात्रों और पर्यटकों को भी निकाला गया है.
मेघालय सीएम ने बताया कि बांग्लादेश के ईस्टर्न मेडिकल कॉलेज में करीब 36 छात्र फंसे हुए हैं. हम वहां के अधिकारियों के संपर्क में हैं. कॉलेज और उसके आसपास की स्थिति ठीक है. हालांकि, स्टूडेंट्स के माता-पिता वहां के हालात को लेकर चिंता में हैं. जब तक भारत सरकार पूरी तरह आश्वस्त नहीं हो जाती कि रास्ता साफ और सुरक्षित हो गया है, तब तक स्थिति पर नजर रखने की जरूरत है. इसके बाद ही स्टूडेंट्स को भारत लाया जाएगा. बांग्लादेश में कुल भारतीय नागरिकों की संख्या लगभग 15,000 होने का अनुमान है, जिसमें लगभग 8,500 स्टूडेंट्स शामिल हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-बांग्लादेश: आरक्षण को लेकर हिंसक प्रदर्शन में अब तक 39 की मौत, 2500 से ज्यादा घायल
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