दीपिका कुमारी बामणिया
जैसलमेर, राजस्थान
ना छोडूंगी साथ तुम्हारा लिख दिया है,
ना कुसुम, न तारा, न वो मिट्टी का प्याला है,
जज़्बात और एहसास से भरा वो मखलूक निराला है,
ना छोडूंगी साथ तुम्हारा बस लिख दिया है,
तुम भी साथ निभाओगे ना?
दिल में आएगा जब ख्याल तुम्हारा,
तुम मुझसे मिलने आओगे ना?
गर मैं कभी गलती करूं दोबारा,
ना छोडूंगी साथ तुम्हारा लिख दिया है,
जो भूलना है वो भूलता नहीं,
साथ रहकर भी दूर होता कोई,
कभी दूर से कोई साथ निभाता है,
तुम भी रिश्ते निभाने आओगे ना?
ना छोडूंगी साथ तुम्हारा लिख दिया है।।
चरखा फीचर
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दो कविताएं: क्या है चरखा? / मेरा सपना