ग्रहों के 'अधिदेवता' और 'प्रत्यधिदेवता' कौन होते, इनके अनुष्ठान से किस प्रकार लाभ लिये जा सकते

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प्रेषित समय :21:10:28 PM / Wed, Jul 24th, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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प्रत्येक ग्रह के लिए देवता, तीन स्तर के होते है.
1- ग्रह देवता (भौतिक स्तर)
2- अधि देवता (मानसिक स्तर) और
3- प्रत्यधि देवता (आत्मिक स्तर) पर होते है.
ग्रह देवता (जो कि स्वयं ग्रह होता है) से हम ग्रह के स्वरूप को जान सकते है. अधि देवता ग्रहों कि प्रकृति बताते है और प्रत्यधि देवता ग्रहों के कार्य बताते है.
ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के 'अधिदेवता' और 'प्रत्यधिदेवता' उनके दिव्य संरक्षक और सहायक देवताओं को संदर्भित करते हैं. ये देवता ग्रहों की शक्ति और प्रभाव को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
अधिदेवता पुष्टिकारक (Streamliner) होते हैं. चीजों को सुव्यवस्थित करते हैं और केवल आशीष और कृपा प्रदान करते हैं.
प्रत्यधिदेवता विघ्नहर्ता (Trouble shooter) होते हैं; और दोषों का निवारण करते हैं.
उदाहरण के लिए चंद्रमा के अधि देवता (अप) जल है. जल के बारे में जानकर हम चंद्रमा को समझ सकते है; और चंद्रमा की प्रत्यधिदेवता गौरी है, जो कि ममतामई मां है जो करुणा, मातृत्व और सुख का प्रतीक है.
ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के अधिदेवता और प्रत्यधिदेवता का महत्वपूर्ण स्थान है. ये देवता, ग्रहों की ऊर्जा और प्रभाव को नियंत्रित करते हैं और उनके माध्यम से विभिन्न ग्रहों की पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं. अधिदेवता और प्रत्यधिदेवता का ज्ञान होने से व्यक्ति अपने जीवन में ग्रहों के अनुकूल और प्रतिकूल प्रभाव को संतुलित कर सकता है.
विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में इन देवताओं की पूजा करने से ग्रहों की ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में परिवर्तित किया जा सकता है, जिससे व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं. नवग्रहों कि पूजा करते समय ग्रहों के देवताओं को स्थापित किया जाता है.
भौतिक स्तर पर कुछ पाने के लिए ग्रह देवता की पूजा की जाती है. कुछ अच्छा हो जाए इस भावना से कुछ मदद मांगने हेतु अधि देवता की, और किसी परेशानी से मुक्ति के लिए प्रत्यधिदेवता की उपासना कि जाती है.
उदाहरण के लिए यदि हमें सूर्य संबंधी अभीष्ट के लिए अपने स्वास्थ्य को अच्छा रखने हेतु (सूर्य के ग्रह देवता) सूर्य की पूजा, मानसिक रूप से स्वास्थ्य रहने हेतु (सूर्य के अधिदेवता)अग्नि की पूजा तथा किसी बीमारी से ठीक होने के लिए (सूर्य के प्रत्यधिदेवता) शिव की उपासना करनी होंगी.
सूर्य आदि नौ ग्रहों के अधि व प्रत्यधि देवता निम्न वर्णित है:-
सूर्य (Sun)अधिदेवता: अग्नि प्रत्यधिदेवता: शिव
चंद्र (Moon)अधिदेवता: अप (जल) प्रत्यधिदेवता: पार्वती
मंगल (Mars)अधिदेवता: कार्तिकेय (मतांतर से स्कंद) और प्रत्यधिदेवता: पृथ्वी
बुध (Mercury)अधिदेवता: विष्णु और प्रत्यधिदेवता: दुर्गा (मतांतर से नारद)
गुरु (Jupiter)अधिदेवता: इन्द्र और प्रत्यधिदेवता: नारायण (मतांतर से देवगुरु बृहस्पति)
शुक्र (Venus)अधिदेवता: इन्द्राणी और प्रत्यधिदेवता: लक्ष्मी (मतांतर से भृगु)
शनि (Saturn)अधिदेवता: यम और प्रत्यधिदेवता: प्रजापति (मतांतर से हनुमान)
राहु (North Node)अधिदेवता: दुर्गा और प्रत्यधिदेवता: काल (मतांतर से कालभैरव)
केतु (South Node)अधिदेवता: गणेश (Ganesha) प्रत्यधिदेवता: चित्रगुप्त (मतांतर से छिन्नमस्तिका देवी) है.
Note:- जीवन में उत्पन्न किसी भी समस्या के कारक ग्रह को जानें बगैर कोई भी उपाय ना करें. यदि समस्या कारक ग्रह, कोई और हो, और उपाय किसी और ग्रह का कर दिया जाए, तो जातक स्थाई समस्या को प्राप्त हो सकता है. उपर वर्णित देवता अत्यंत उग्र और शीघ्र फलदाई होते हैं.

Krishna Pandit Ojha

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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