लोकसभा में कांग्रेस सदस्य चन्नी और रवनीतसिंह बिट्टू में जमकर हुई बहस, भारी हंगामें के बीच नारेबाजी की गई

लोकसभा में कांग्रेस सदस्य चन्नी और रवनीतसिंह बिट्टू में जमकर हुई बहस, भारी हंगामें के बीच नारेबाजी की गई

प्रेषित समय :17:26:45 PM / Thu, Jul 25th, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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नई दिल्ली. लोकसभा में आज कांग्रेस सदस्य चरणजीत सिंह चन्नी व भाजपा के रवनीत सिंह बिट्टू के बीच हुई बहस हुई. जिसके चलते आधा घंटा के लिए लोकसभा को स्थगित कर दिया गया. चन्नी ने केंद्रीय राज्य मंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि आपके दिवंगत पिता (दादा) के बजाय गलती से कहा गया शहीद थे. लेकिन वास्तव में उनकी मृत्यु उसी दिन हुई जब आप भाजपा में शामिल हुए. बिट्टू के दादा पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की 31 अगस्तए 1995 को चंडीगढ़ में सचिवालय परिसर में एक आत्मघाती बम हमले में हत्या कर दी गई थी.

चन्नी ने इस बात पर जोर दिया कि ब्रिटिश राज और वर्तमान नरेंद्र मोदी सरकार के बीच त्वचा के रंग को छोड़कर कोई अंतर नहीं है. उन्होंने तानाशाही रवैये को लेकर सरकार पर और भी निशाना साधा. गुस्साए बिट्टू बोलने के लिए खड़े हुए और कहा कि उन्हें अपने पूर्व पार्टी सहयोगी को जवाब देना चाहिए. उन्होंने कहा कि मुझे जवाब देना होगा क्योंकि उन्होंने मेरे दादाजी का नाम लिया था. मेरे दादाजी ने किसी पार्टी के लिए नहीं बल्कि देश के लिए अपनी जान दी. बिट्टू ने आगे कहा कि अगर चन्नी साबित कर दे कि वह गरीब है तो वह अपना नाम बदल लेगा. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सांसद के पास पंजाब में अब तक के सबसे शक्तिशाली संसाधन और सबसे अधिक पैसा है. उन्होंने यह भी दावा किया कि चन्नी यौन उत्पीडऩ मामले में आरोपी थे. कांग्रेस नेता की त्वचा के रंग टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए बिट्टू ने कहा कि ऐसा लगता है कि वह सोनिया गांधी का जिक्र कर रहे थे और पार्टी से यह साबित करने को कहा कि वह किस देश से आई हैं. इसके बाद लोकसभा में अफरा-तफरी मच गई. क्योंकि पंजाब कांग्रेस के सांसद बिट्टू को लड़ाई के लिए चुनौती देते हुए वेल में आ गए. एक को यह कहते हुए सुना जा सकता है हिम्मत है तो आजा बिट्टू ने वेल में आने की कोशिश की लेकिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उसे रोक दिया और उसे शांत होने के लिए कहा. पंजाब से तीन बार के पूर्व कांग्रेस सांसद बिट्टू अप्रैल-जून के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले भाजपा में शामिल हो गए थेए जिससे उनकी पार्टी के पूर्व सहयोगियों में दुश्मनी की लहर फैल गई थी. उन्होंने लुधियाना लोकसभा सीट से दोबारा चुनाव लडऩे के लिए भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन कांग्रेस के अमरिंदर सिंह राजा वारिंग से हार गए. हालांकि उन्हें एक एमओएस के रूप में नरेंद्र मोदी की मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया था और जल्द ही राज्यसभा मार्ग के माध्यम से संसद में लाए जाने की संभावना है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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