ज्योतिष में श्रावण और उज्जैन का महत्व

ज्योतिष में श्रावण और उज्जैन का महत्व

प्रेषित समय :15:49:07 PM / Sat, Jul 27th, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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*ज्योतिष विज्ञान के दर्पण में श्रावण मास और उज्जैन नगरी (महाकाल ज्योतिर्लिंग) का क्या विशेष संबंध है. इसके क्या विशेष महत्व हैं एवं यहां पर कुंडली के किन-किन योग-दोषों की शांति पूजा अनुष्ठान करने से क्या विशेष लाभ हो सकते हैं, इन सब रहस्यों का हम ज्योतिषीय तंत्र के आधार पर विश्लेषण करते हैं.*
*प्रथम तथ्य:-* उज्जैन (महाकाल) कर्क रेखा पर स्थित हैं.
कर्क राशि ही चंद्र की राशि है, "यानी क्षीण चंद्र को प्रबल करने वाले अनुष्ठानों में सहयोगी है उज्जैन".
इसी राशि में पुष्य नक्षत्र (शनि का) आता है, "यानि शनी-चंद्र से निर्मित कुंडली दोषों की शान्ति सर्वोत्तम लाभकारी है उज्जैन में".
*द्वितीय तथ्य:-* श्रावण मास में सूर्य, कर्क राशि में ही होता है एवं "पुष्य" नक्षत्र से भी गुजरता है.
"यानि इस महीने उज्जैन में सूर्य से बनने वाले समस्त कुंडली दोषों के शांति विधान करने वालों को सर्वाधिक लाभ होता है."
*तृतीय तथ्य:-* मंगल ग्रह की उत्पत्ति "अंगारक मंगल" स्थान उज्जैन हैं और कर्क राशि ही मंगल की नीच राशि है.
"यानि मंगल से संबंधित सभी कुंडली दोषों के निवारणार्थ, शांति विधान पूजन अनुष्ठान उज्जैन में करना चमत्कारी लाभ प्रदान करते हैं."
*चतुर्थ तथ्य:-* कर्क राशि में ही गुरू उच्च का हो जाता है और उज्जैन ज्ञान की नगरी भी है.
"यानि गुरू के उच्च स्थान उज्जैन में गुरु से बनने वाले सभी कुंडली दोषों के शांति अनुष्ठान करना, भी श्रावण मास में यहां विशेष फलदाई होते हैं."
*पंचम तथ्य:-* चूंकि उज्जैन महाकाल नगरी है काल गणना का ज्योतिषीय, भोगोलिक, खगोलीय एवं वैज्ञानिक केन्द्र है तथा श्रावण मास महाकाल का खास महिना हैं जिसमें मृत्युंजय महादेव वसुंधरा के केंद्र उज्जैन में ही निवास करके प्रकृति का संयोजन करते हैं.
"यानि उज्जैन में कुंडली के अल्पायु योग, दुर्घटना योग, वैधव्य योग, एवं आरोग्य प्राप्ति से संबंधित सभी अनुष्ठान भी श्रावण मास में सर्वाधिक फलदाई होते हैं."
*छटमा तथ्य:-* उज्जैन तंत्र नगरी (शमशान तीर्थ भूमि) हैं यहां जीवंत भैरव (काल भैरव) साक्षात विराजमान है. और सही आवाहन किया जाऐ तो प्रकट होकर भोग ग्रहण करते हैं, रक्षा भी करते हैं.. शक्तिपीठ "हरसिद्धि" भी हैं. मतलव भैरव-भैरवी की साक्षात नगरी भी है उज्जैन और श्रावण में पूर्ण जाग्रत रहती है.
"यानि श्रावण मास में तंत्रादि समस्याओं से निजात संबंधित, वैदिक-तंत्र अनुष्ठान, प्रेतबाधा निवारण शान्ति विधान भी यहां करना निश्चित कल्याणकारी होते हैं."
*सप्तम तथ्य:- उज्जैन एक महातीर्थ है अतः यहां श्रावण मास में क्षिप्रा स्नान, देव पूजन, पित्र पूजन, यज्ञ-हवन, जाप, अनुष्ठान, दान-धर्म आदि करने वालों को सहस्रों गुणां पुण्यफल प्राप्त होता है और उनकी इच्छापूर्वक मनोवांछित फल अवस्य ही प्राप्त होता है..
*अतः निश्चित है कि जिनकी भी कुंडली में - विषदोष, अमावस्या दोष, ग्रहण-दोष, पितृदोष, प्रेतबाधा दोष, मंगल दोष, अंगारक दोष, कालसर्प दोष, वैधव्य दोष, विवाह प्रतिबंधक योग, दरिद्रयोग, अल्पायु योग, दुर्घटना योग, आदि हैं तो पवित्र श्रावण मास में उज्जैन जाकर इन दोषों का विधिवत वैदिक-तंत्र विधी से निवारण शांति विधान अवस्य करवाऐ, महाकाल, काल भैरव एवं मां हरसिद्धि की कृपा से उनको निश्चित ही मनोवांछित लाभ मिलेगा.
*श्रावण मास उज्जैयिनी में महामृत्युंजय एवं रुद्राभिषेक अनुष्ठान करने वालों के समस्त कष्ट निवारण हो जाते हैं.
Astro nirmal

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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