☆ यदि शनि कुंडली में छटे या आठवे भाव में हो तो ऐसे में व्यक्ति को घुटनो, कमर आदि के जोड़ो के दर्द की समस्याएं होती हैं.
☆ शनि यदि नीच राशि (मेष) में हो तो व्यक्ति जोड़ो के दर्द से समस्याग्रस्त रहता है.
☆ शनि का केतु और मंगल के योग से पीड़ित होना भी जॉइंट्स पेन की समस्या देता है.
☆ शनि यदि सूर्य से पूर्ण अस्त हो तो भी जोड़ो के दर्द की समस्या रहती है.
☆ शनि का अष्टमेश या षष्टेश के साथ होना भी जोड़ो में दर्द की समस्या देता है.
☆ यदि कुंडली के दशम भाव में कोई पाप योग बन रहा हो या दशम भाव में कोई पाप ग्रह नीच राशि में हो तो भी घुटनो के दर्द की समस्या रहती है.
☆ छटे भाव में पाप योग बनना कमर दर्द की समस्या देता है.
☆ ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को हड्डियों के जोड़ या जॉइंट्स का कारक माना गया है,हमारे शरीर में हड्डियों का नियंत्रक ग्रह तो सूर्य है पर हड्डियों के जोड़ों की स्थिति को "शनि" नियंत्रित करते है.अतः हमारे शरीर में हड्डियों के जोड़ या जॉइंट्स की मजबूत या कमजोर स्थिति हमारी कुंडली में स्थित 'शनि" के बल पर निर्भर करती है.कुंडली में शनि पीड़ित स्थिति में होने पर व्यक्ति अक्सर जॉइंट्स पेन या जोड़ो के दर्द से परेशान रहता है और कुंडली में शनि पीड़ित होने पर ही घुटनो के दर्द, कमर दर्द, गर्दन के दर्द, रीढ़ की हड्डी की समस्या, कोहनी और कंधो के जॉइंट्स में दर्द के जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं. इसके अतिरिक्त कुंडली का "दसवा भाव" घुटनो का प्रतिनिधित्व करता है छटा भाव कमर का प्रतिनिधित्व करता है तीसरा भाव कन्धों का प्रतिनिधित्व करता है और सूर्य को हड्डियों और केल्सियम का कारक माना गया है अतः इन सबकी भी यहाँ सहायक भूमिका है परंतु जोड़ो के दर्द की समस्या में मुख्य भूमिका "शनि" की ही होती है क्योंकि शनि को हड्डियों के जोड़ो का नैसर्गिक कारक माना गया है और शनि हमारे शरीर में उपस्थित हड्डियों के सभी जॉइंट्स का प्रतिनिधित्व करता है अतः कुंडली में शनि पीड़ित होने पर ही व्यक्ति को दीर्घकालीन या निरन्तर जॉइंट्स पेन की समस्या बनी रहती है.
☆यदि कुंडली में शनि पीड़ित स्थिति में हो तो शनि की दशा में भी जॉइंट्स पेन की समस्या बनी रहती है.
वैसे तो प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में ग्रह स्थिति भिन्न होने के कारण व्यक्तिगत रूप से प्रत्येक व्यक्ति के लिए उपाय भी भिन्न होते हैं परंतु यहाँ हम जॉइंट्स पेन के लिए कुछ सामान्य ज्योतिषीय उपाय बता रहें हैं जिन्हें प्रत्येक व्यक्ति कर सकता है -
1. ॐ शं शनैश्चराय नमः का नियमित जाप करें.
2. शनिवार को मन्दिर में पीपल पर सरसो के तेल का दिया जलाएं.
3. शनिवार को संध्याकाल में सरसो के तेल का परांठा कुत्ते को खिलाएं.
4. किसी योग्य ज्योतिषी से परामर्श के बाद शनि का कोई रत्न भी धारण कर सकते हैं पर किसी योग्य ज्योतिषी की सलाह के बिना शनि का कोई भी रत्न ना पहने.
5. आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें.
6. शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार से आरंभ कर कम से कम तीन शनि सर से पैर तक काल धागा नापकर उसे जटा वाले नारियल पर लपेट सर से 11 बार मनोकामना बोलकर उतार बहते जल में प्रवाहित करें.
7. सप्त धान्य एवं काली वस्तुओ का दान करने से भी काफी फर्क पड़ता है.
8. मां बगलामुखी की पूजा उपासना सतनाम और सहस्त्र नाम जाप अथवा श्रवण भी सर्वोत्तम उपाय है.
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