ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उच्च और बिना बाधा की शिक्षा हेतु शुभकारी योग

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उच्च और बिना बाधा की शिक्षा हेतु शुभकारी योग

प्रेषित समय :15:47:05 PM / Sat, Jul 27th, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
Whatsapp Channel

वर्तमान युग में शिक्षा के महत्व एवं अनिवार्यता से कोई अनभिज्ञ नहीं है. शिक्षा के बिना जीवन अधूरा है यह न केवल पारिवारिक उत्तरदायित्वों का वहन करने के लिए व राजकीय सेवाओं उद्योगों व्यवसायों घरेलू उद्यमों इत्यादि में सफलता प्राप्त करने तथा राजयोगी का स्वयं लाभ प्राप्त करने के लिए शिक्षा जरूरी है.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी प्रकार की शिक्षा का विचार करने के लिए निम्नलिखित सूत्रों का अध्ययन करना अत्यावश्यक है-
1. लग्न व लग्नेश 2. द्वितीय व द्वितीयेश 3. तृतीय व तृतीयेश 4 चतुर्थ व चतुर्थेश 5 पंचम व पंचमेश 6. नवम व नवमेश चंद्र, बुध व गुरु सफलता के लिए कारक गृह की शुभता जरूरी है
शिक्षा के अनेक प्रकार होते हैं. गणित विज्ञान, भूगोल, वेद-पुराण, संगीत काव्य संगीत, चित्रकला अभिनय साहित्य विधि व्याकरण अध्यात्म, दर्शनशास्त्र ज्योतिष आदि.

सूर्य से वेदांत चन्द्र से वैध, मंगल से मुख्यतः न्याय एवं गणित आदि का बुध से आयुर्वेद कंप्यूटर गणित संगीत साहित्य की कला की प्रखरता ज्योतिष और गायन की दिव्यता आदि का ज्ञान होता है. गुरु से वेदांग ज्योतिष वेद-पुराण, अध्यात्म इत्यादि का विचार किया जाता है. शुक्र से व्याख्यान शक्ति साहित्य, गायन आर्किटेक्चर, साज-सज्जा चित्रकारी इत्यादि का ज्ञान होता है
राहु और शनि से विदेशी विद्या या भाषा का ज्ञान प्राप्त होता है. बुध और शुक्र की स्थिति से विद्वता तथा पांडित्य एवं कल्पना शक्ति का अनुमान होता है. द्वितीय भाव एवं नवम भाव से भी बौद्धिक स्तर बुद्धि की प्रखरता स्मरण शक्ति, रुचि, अरुचि और अभिरुचि का स्तर पता चलता है. विशेषत यदि गुरु से बुध या बुध से गुरु दृष्ट हो अथवा संयुक्त हो.
शिक्षा एवं स्मरण शक्ति से संबंधित योग
गुरु और चंद्र में राशि परिवर्तन योग हो.
पंचम / नवम भाव व पंचमेश / नवमेश शुभ प्रभाव में हो
गुरु, बुध व शुक्र केंद्र या त्रिकोण में हो तथा बली हो पंचमेश उच्च राशि में हो.
दशमेश पंचम में हो, बुध केंद्र में हो तथा बलवान सूर्य सिंह राशि में हो.
चतुर्थ व पंचमेश में राशि परिवर्तन हो तथा बुध बली हो पंचमेश नवमस्थ हो तथा शुभ ग्रह की दृष्टि हो.
द्वितीयेश व चतुर्थेश में राशि परिवर्तन हो तथा गुरु बली हो.
पंचम में बुध हो तथा पंचमेश बलवान हो.\
द्वितीयेश व गुरु केंद्र या त्रिकोण में हो.
पंचमेश नवम में हो तथा पंचमेश गुरु शुभ ग्रह के मध्यत्व में हो.
पंचमेश दशम या एकादश में हो.
द्वितीयेश व पंचमेश मे राशि परिवर्तन हो या दोनो की युति हो.
चंद्र से त्रिकोण में गुरु तथा बुध से त्रिकोण में मंगल हो.
बुध की नवाश राशि का स्वामी केंद्र या त्रिकोण में हो तथा उस पर पंचमेश की दृष्टि हो.
बुध बलवान हो तथा पंचमेश शुभ दृष्ट हो अथवा पंचम में शुभ ग्रह हो.
पंचम भाव की राशि व नवाश राशि के स्वामी शुभ ग्रह हो तथा पंचम में गुरु शुभ प्रभाव में हो.
गुरु और बुध में युति या दृष्टि सबंध हो तथा दोनों में से किसी एक का संबंध तृतीय या नवम् भाव से हो.
इन योगों में जातक बुद्धिमान प्रतिभाशाली तीव्र स्मरण शक्ति युक्त तथा शिक्षित होता है. विवेक, बुद्धि एवं स्मरण शक्ति से संबंधित जो योग ऊपर दिए गए है उसमें उत्पन्न जातक बुद्धिमान, प्रतिभाशाली ती स्मरण शक्ति युक्त तथा शिक्षित होता है. उपरोक्तानुसार योग जातक की शिक्षा के आधार स्तंभ है. किसी भी जानक की कुंडली में उपरोक्त योगों में से एकाधिक योग हो तो जातक को उच्च सामान्य शिक्षा अथवा विशिष्ट शिक्षा प्राप्त करने मे सफलता प्राप्त होती है.
Astro nirmal

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

कुंडली के अनुसार साढ़ेसाती या ढैय्या के प्रभाव में बिना किसी कारण कलंक और बदनामी

जन्म कुंडली के अनुसार अष्टम भाव में गुरू का प्रभाव

कुंडली में षोडश वर्ग को समझे फिर देखें फलादेश की सटीकता व सफलता

जन्म कुंडली के सप्तम भाव में सूर्य शनि की युति हो तो दो शादी के योग

ज्योतिष में जन्मकुंडली के आठवें शनि से लोग क्यों डरते हैं?