नीमा आर्य
कपकोट, बागेश्वर
उत्तराखंड
सहेली तो हमारी मुस्कान है,
बनती उससे अपनी पहचान है,
हम सबका यही कहना है,
सहेली संग हमेशा रहना है,
क्यों छोड़े हम एक दूसरे का साथ,
क्यों जाएं एक दूसरे से दूर,
सिर्फ़ स्कूल तक का सफ़र नहीं था,
हमे तो हमेशा साथ में रहना था,
एक साथ खाते और पीते हैं,
किसी को बीच में नहीं आने देते हैं,
होती छुट्टी स्कूल की तो साथ घर जाते हैं॥
चरखा फीचर
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-कविताएं: लुप्त होती एक भाषा / एक लड़की का सपना