नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति आरक्षण मामले में कोटे में कोटा मंजूर कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने 20 साल पुराने अपने ही फैसले को पलटा है. उस वक्त कोर्ट ने कहा था कि अनुसूचित जातिया स्वयं एक समूह है, इसमें शामिल जातियों के आधार पर और बंटवारा नहीं किया जा सकता है. अब राज्य सरकारें अनुसूचित जाति (एससी) आरक्षण में कोटे में कोटा दे सकेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने नए फैसले में राज्यों के लिए जरूरी हिदायत भी देते हुए कहा है कि राज्य सरकारें मनमर्जी से फैसला नहीं कर सकतीं. इसके लिए दो शर्तें होंगी. पहली यह कि अनुसूचित जाति के भीतर किसी एक जाति को 100 प्रतिशत कोटा नहीं दिया जाएगा. दूूसरी यह कि अनुसूचित जाति में शामिल किसी जाति का कोटा तय करने से पहले उसकी हिस्सेदारी का पुख्ता डेटा होना चाहिए. यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संविधान पीठ का है. इसमें कहा गया कि अनुसूचित जाति को उसमें शामिल जातियों के आधार पर बांटना संविधान के अनुच्छेद-341 के खिलाफ नहीं है. कोर्ट ने यह फैसला उन याचिकाओं पर सुनाया है जिनमें कहा गया था कि अनुसूचित जाति व जनजातियों के आरक्षण का फायदा उनमें शामिल कुछ ही जातियों को मिला है.
इससे कई जातियां पीछे रह गई हैं. उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए कोटे में कोटा होना चाहिए. इस दलील के आड़े 2004 का फैसला आ रहा था, जिसमें कहा गया था कि अनुसूचित जातियों को सब-कैटेगरी में नहीं बांट सकते. राज्य सरकारे अब राज्यों में अनुसूचित जातियों में शामिल अन्य जातियों को भी कोटे में कोटा दे सकेंगी. यानी अनुसूचित जातियों की जो जातियां वंचित रह गई हैं उनके लिए कोटा बनाकर उन्हें आरक्षण दिया जा सकेगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दिल्ली सरकार कोचिंग संस्थानों को रेगुलेट करने के लिए कानून लाएगी, मंत्री आतिशी ने किया ऐलान
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