तानिया
चौरसो, गरुड़
बागेश्वर, उत्तराखंड
जब बारिश जब तू आये,
कितने दिलों को भाए,
पेड़ पौधे हों या धरती की हरियाली,
एक सुंदर सा दृश्य स्वरूप,
चारों दिशाओं में फैल जाए,
नालों का नदियों में घुलना,
ऊंचे पहाड़ों से झरनों का गिरना,
हर दिन मौसम आना तेरा,
कितने मौसम जैसा दिखना तेरा,
हर बार तेरा आना आनंद तो नहीं,
कई लोगों के घर छत भी नहीं,
फिर भी बारिश का मौसम क्यों है इतना ख़ास?
हां, माना कि प्रकृति की सुंदरता भाए,
फिर वह भला हमें हानि क्यों पहुंचाए?
ए, बारिश जब भी तू आये,
खेत खलियान सब लहलहाए,
क्या कहूं खुद के आनंद की,
देख के वर्षा को मन आनंदित हो जाए।।
चरखा फ़ीचर
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-कविताएं: लुप्त होती एक भाषा / एक लड़की का सपना