नई शिक्षा नीति : 9वीं, 10वीं और 11वीं के नंबर मिलाकर बनेगा 12वीं का रिजल्ट, एनसीईआरटी बड़े बदलाव की तैयारी में

नई शिक्षा नीति : 9वीं, 10वीं और 11वीं के नंबर मिलाकर बनेगा 12वीं का रिजल्ट, एनसीईआरटी बड़े बदलाव की तैयारी में

प्रेषित समय :14:22:21 PM / Mon, Aug 26th, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली. एनसीईआरटी के संगठन परफॉर्मेंस असेसमेंट रिव्यू एंड एनालिसिस ऑफ नॉलेज फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट (परख) ने सुझाव दिया है कि कक्षा 9, 10 और 11 में छात्र के प्रदर्शन को उनकी कक्षा 12 की अंतिम रिपोर्ट कार्ड में शामिल किया जाना चाहिए, जिसमें परीक्षाओं और चल रहे क्लासवर्क दोनों को ध्यान में रखा जाए. यह सुझाव परख ने शिक्षा मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में दिए हैं. परख को पिछले साल एनसीईआरटी द्वारा स्थापित किया गया था, जिसका उद्देश्य देशभर के स्कूल बोर्डों में मूल्यांकन की प्रक्रियाओं को मानकीकृत करना है.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत, परख की भूमिका में कौशल में सुधार, उपलब्धि सर्वेक्षण और स्कूल बोर्डों के लिए समान मूल्यांकन मानक स्थापित करना शामिल है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल 32 स्कूल बोर्डों से बातचीत के बाद, परख ने शिक्षा मंत्रालय को एक रिपोर्ट भेजी है, जिसमें सभी स्कूल बोर्डों में मूल्यांकन प्रथाओं को एकसमान बनाने के सुझाव दिए गए हैं.

परख रिपोर्ट शिक्षा मंत्रालय को बताती है कि मूल्यांकन में रचनात्मक मूल्यांकन जैसे चल रही कक्षा की गतिविधियाँ, समूह चर्चा, परियोजनाएँ और सत्रांत परीक्षा जैसे योगात्मक मूल्यांकन का मिश्रण शामिल होना चाहिए. यह अनुशंसा की गई है कि अंतिम कक्षा 12 रिपोर्ट कार्ड में कक्षा 9, 10 और 11 के प्रदर्शन को शामिल किया जाना चाहिए, जिसमें कक्षा 9 से 15 प्रतिशत, कक्षा 10 से 20 प्रतिशत, कक्षा 11 से 25 प्रतिशत और कक्षा 12 से 40 प्रतिशत का महत्व होना चाहिए. रिपोर्ट यह भी सिफारिश करती है कि कक्षा 9 के अंक 70 प्रतिशत रचनात्मक और 30 प्रतिशत योगात्मक होने चाहिए. कक्षा 10 में 50 प्रतिशत फॉर्मेटिव और 50 प्रतिशत योगात्मक होना चाहिए. कक्षा 11 के लिए, विभाजन 40 प्रतिशत रचनात्मक और 60 प्रतिशत योगात्मक होना चाहिए. कक्षा 12 में, वेटेज को 30 प्रतिशत फॉर्मेटिव और 70 प्रतिशत योगात्मक पर स्थानांतरित किया जाना चाहिए.

रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि परख रिपोर्ट को फीडबैक के लिए सभी स्कूल बोर्डों के साथ साझा किया जाएगा. इसमें कहा गया है कि पहले दौर की चर्चा पिछले सप्ताह हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और बिहार के अधिकारियों के साथ हुई थी. बैठक के दौरान, राज्यों ने कक्षा-वार प्रदर्शन को शामिल करने के लिए एक वैकल्पिक विधि का प्रस्ताव रखा. उन्होंने सुझाव दिया कि अंतिम कक्षा 12 के रिपोर्ट कार्ड में कक्षा 9, 10 और 11 के परिणामों को शामिल करने के बजाय, अंतिम कक्षा 10 का स्कोर कक्षा 9 के 40 प्रतिशत और कक्षा 10 के 60 प्रतिशत पर आधारित होना चाहिए. इसी तरह, अंतिम कक्षा 12 का स्कोर स्कोर कक्षा 11 से 40 प्रतिशत और कक्षा 12 से 60 प्रतिशत के आधार पर होना चाहिए.

परख की हेड और सीईओ, प्रो. इंद्राणी भादुड़ी का कहना है कि स्कूल शिक्षा बोर्ड्स के सिलेबस और मूल्यांकन प्रक्रिया में समानता लाना आज की जरूरत है. राष्ट्र्रीय शिक्षा नीति 2020 और नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (स्कूल एजुकेशन) ने भी मूल्यांकन प्रक्रिया को फिर से डिजाइन करने और समग्र शिक्षा एवं विकास के लिए व्यापक सुधारों की सिफारिश की है. वोकेशनल और स्किल कोर्सेज को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए.

वर्तमान में, 38.80 प्रतिशत स्कूल बोर्ड्स ने आर्ट और क्राफ्ट को अनिवार्य विषय के रूप में शामिल किया है, 61.11 प्रतिशत ने फिजिकल एजुकेशन को, जबकि केवल 9.52 प्रतिशत बोर्ड्स ने स्किल सब्जेक्ट्स को अनिवार्य बनाया है. साथ ही, 40 प्रतिशत बोर्ड केवल एक सप्लीमेंटरी का विकल्प दे रहे हैं, 29 प्रतिशत दो सप्लीमेंटरी का, और 7 प्रतिशत बोर्ड्स ने सप्लीमेंटरी का कोई विकल्प ही नहीं दिया है.

प्रो. भादुड़ी का मानना है कि क्लास 9 में 70 प्रतिशत, 10 में 50 प्रतिशत, 11 में 40 प्रतिशत और क्लास 12 में 30 प्रतिशत वेटेज फॉर्मेटिव असेसमेंट को दिया जाना चाहिए. जबकि क्लास 12 में शेष 70 प्रतिशत वेटेज लिखित परीक्षा को मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि बेहतरीन प्रैक्टिसेस को अपनाकर बोर्ड्स के लिए कॉमन गाइडलाइंस तैयार करने की जरूरत है, ताकि सभी छात्रों को समान अवसर मिल सके.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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