अनिल मिश्र/पल-पल संवाददाता/गया
मेहनत ऐसी करों की कामयाबी शोर मचा दे. काम ऐसा करों की लोकप्रियता शिखर पर पहुंचा दे.
कुछ इसी तरह का बाक्या कर दिखाया है पं विगनेश्वर मिश्र के वंशजों ने.
आजादी के बाद हुए पहले आम चुनाव में गया उतरी क्षेत्र(अब जहानाबाद) से सोशलिस्ट पार्टी से विजयी उम्मीदवार पं विगनेश्वर मिश्र के खानदान से ताल्लुक रखने वाले और पं गोविंद मिश्र के पुत्र रामचंद्र मिश्र ने गया जिला मुख्यालय से 18किलोमीटर की दूरी पर गया -टिकारी, गया -दाऊदनगर मार्ग पर स्थित लभरा-पंचानपुर गांव के पास निर्जन स्थान पर अपने दफादार मित्र चंद्रिका मिश्र के कहने पर एक झोपड़ीनुमा दुकान बनाकर मार्च १९६७ में एक दुकान खोली. शुरूआती दिनों में हल्की फुल्की मिठाई और नमकीन इस दुकान में बनती थी. लेकिन कुछ दिनों के बाद कुश्मांकर पाण्डेय नामक एक दारोगा द्वारा किसी फजल अहमद नाम के आईजी को भेंट में रसगुल्ला डेढ़ किलोग्राम के देने के बाद से रसगुल्ले की ख्याति बढ़ती चली गई.इस रसगुल्ले के साइज बड़ा होने के कारण गलफार रसगुल्ला कहा जाने लगा. अमूमन आम तौर पर रसगुल्ला छोटे आकार का होता है. लेकिन यहां पचास ग्राम से लेकर डेढ़ किलोग्राम तक का एक रसगुल्ला बनता है.
इस संबंध में रामचन्द्र मिश्र के पत्रकार पुत्र अनिल किशोर मिश्र बताते हैं कि दरअसल मेरे पिताजी लखनऊ रेलवे में
कारिगर थे. लेकिन तेरह वर्ष नौकरी करने के बाद आंख की बिमारी कलर ब्लाइंड होने के कारण उन्हें सेवा से हटा दिया गया. लेकिन उसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और देश के दिल्ली, कोलकाता, कानपुर, जमशेदपुर, राउरकेला,रांची,पटना, मुम्बई सहित कई जगहों पर अपनी कला का प्रदर्शन किया. साथ ही सबसे पहले गया के गांधी मैदान के पास स्थित बिजली आफिस के पास दुकान खोली गई थी लेकिन कच्चा माल जैसे दुध, कोयला आदि नहीं मिलने के कारण कुछ दिनों बाद ही बंद करना पड़ा.
लेकिन मेरे पिताजी के दफादार मित्र चंद्रिका मिश्र के कहने पर पिताजी ने इस निर्जन स्थान पर दुकान खोलने से पहले तो हिचकिचायें लेकिन मन मारकर यहां पर दुकान खोली.
शुरूआती दिनों में तो समाज के लोग खिल्ली उड़ाते हुए कहा करते थे कि ब्राह्मण होकर हलवाई का काम करते हैं लेकिन दुकान जैसे -जैसे चलने लगा वैसे वैसे लभरा-पंचानपुर सहित आसपास के बहुत से लोग अपनी जीवकोपार्जन हेतु विभिन्न तरह के व्यवसाय कर रहे हैं.
रामचंद्र मिश्र जी के फ़रवरी २०९९ मे ह्रदय गति रूक जाने के कारण मौत होने के बाद इनके सभी चारों लड़के इनके व्यवसाय को जहां बढ़ा रहे हैं. वहीं करीब तीन दर्जन लोगों को रोजगार देकर उनके परिवार का भरण-पोषण भी करवा रहे हैं. जबकि एक दर्जन लोग यहां पर कच्चा माल यानी दुध लाकर भी अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहा है. इस संबंध में रामचन्द्र मिश्र के बड़े लड़के जय किशोर मिश्र ने कहा कि दुध गया जिले के साथ साथ पड़ोसी जिले अरवल और जहानाबाद जिले के गांवों से आता है. यहां पर मिठाई में किसी तरह का कलर या केमिकल का प्रयोग एकदम नहीं होता है.
शुद्ध दुध से जहां रसगुल्ला बनता है वहीं सूखे और रसदार फलों की भी मिठाई यहां बनाये जाती है.
पंचानपुर स्थित पंडित जी के रसगुल्ले और मिठाई हर वर्ग में पसंद किए जाते हैं.इस मिठाई को राजनेता, अधिकारी , पुलिस -प्रशासन और विद्यार्थियों में भी खुब पसंद किया जाता है. यहां के रसगुल्ले और मिठाई को भारत के सर्वोच्च न्यायालय पूर्व न्यायाधीश ललित मोहन शर्मा, पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवानी, जगजीवन राम,नागालैंड के पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, कर्पूरी ठाकुर, भागवत झा आजाद, विन्देश्वरी दूबे,नीतिश कुमार के अलावा दक्षिण बिहार साउथ बिहार सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी में पिछले वर्ष तृतीय दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि रहे भारत के महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और बिहार के राजपाल विश्वनाथ प्रसाद अलेंक्रर भी
रसास्वादन कर चुके हैं.
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