अभिमनोज
सुप्रीम कोर्ट ने भारत राष्ट्र समिति की नेता के. कविता को कथित दिल्ली शराब घोटाला मामले में जमानत दे दी है, इस जमानत के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के नजरिए पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा कि- हाईकोर्ट के अनुसार तो किसी शिक्षित महिला को जमानत नहीं मिल सकती है, क्या ऐसा हो सकता है?
खबर है कि.... के कविता के खिलाफ दो केंद्रीय एजेंसियों- सीबीआई और ईडी की जांच चल रही है, के कविता ने दिल्ली हाईकोर्ट में जमानत का आवेदन किया था, जहां जज जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा की बेंच ने 1 जुलाई 2024 को जमानत याचिका खारिज कर दी थी, साथ ही अपने फैसले में यह कहा था कि- के कविता एक सुशिक्षित महिला हैं, जिन्होंने अपने सामाजिक कार्यों के जरिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि- के कविता कोई कमजोर महिला नहीं हैं जिन्हें धनशोधन विरोधी कानून पीएमएलए की धारा 45 के प्रावधानों के तहत महिलाओं को दी गई छूट का फायदा दिया जाए, इसके साथ ही हाईकोर्ट ने के. कविता की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने के कविता की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के फैसले से असहमति जाहिर करते हुए कहा कि- हाईकोर्ट के अनुसार तो किसी शिक्षित महिला को जमानत नहीं मिल सकती है, क्या ऐसा हो सकता है?
खबरों की मानें तो.... जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि यदि दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले को कानून बनने दिया गया तो इसका मतलब यही होगा कि किसी शिक्षित महिला को जमानत नहीं दी जा सकती है, हाईकोर्ट का फैसला कानून बना तो कम से कम दिल्ली की सभी अदालतें यही अनुसरण करेंगी, ये क्या है? बल्कि.... हम तो कहेंगे कि अदालतों को एक सांसद और आम आदमी के बीच भेद नहीं करना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि- जांच पूरी हो गई और चार्जशीट भी फाइल हो चुकी है, ऐसे में याचिकाकर्ता के. कविता को हिरासत में रखना जरूरी नहीं है, वह पांच महीने से जेल में हैं और उनके खिलाफ मुकदमे की सुनवाई जल्दी ही पूरी होने की संभावना नहीं है, हमने कई बार कहा है कि सजा के तौर पर अंडरट्रायल कस्टडी नहीं होनी चाहिए, पीएमएलए की धारा 45 के तहत महिलाओं को मिली छूट का हकदार के. कविता भी हैं!
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