दीपिका बामणिया
जैसलमेर, राजस्थान
जिंदगी तो एक सुनहरा पन्ना है,
जिसमें यादों को लिखा जाता है,
किस्मत के रूठ जाने पर मेहनत ढूंढा जाता है,
मां की हर लोरी में पिता को ढूंढा जाता है,
परायों की दुनिया में अपनों को देखा जाता है,
रिश्तों के धागों में दोस्ती को पिरोया जाता है,
गुलामी की जंजीरों में आजादी को पाया जाता है,
यह वह सुनहरा पन्ना है, जिसे हर रात लिखा जाता है,
ज़माने की बातों में खुद को ही ढूंढा जाता है,
और इतिहास देखकर भविष्य बुना जाता है,
बच्चों की नादानियों में भगवान को देखा जाता है,
पिता की हर डांट में सफलता ढूंढा जाता है।।
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