कर्ज या लोन जिस व्यक्ति पर भी होता है उन्हें यह चिंता हमेशा रहती है कि कर्ज उतारने में कोई समस्या तो कभी नही होगी और कब तक जल्द से जल्द कर्ज मुक्ति मिले और क्या ऐसा करे की जल्द से जल्द आसानी से कर्ज उतर जाए और वर्तमान भविष्य अच्छा हो सके.आज बात करते है कब कर्ज से मुक्ति मिलेगी और यदि कर्ज किसी कारण से आर्थिक कमजोरी के कारण या अन्य कारणों से उतारने में बिघ्न आ रहे है तो क्यों आ रहे है और कब तक कैसे कर्ज उतरेगा?
आज हम मुख्य रूप से धन का ही लेते है तो कुंडली का दूसरा भाव धन-दौलत का है तो छठा भाव कर्ज का है तो ग्यारहवाँ भाव आमदनी/आय का है.जब छठे भाव/छठे भाव स्वामी(कर्ज) सहित दूसरे भाव/भावेश(धन)और ग्यारहवाँ भाव/भावेश(आमदनी) का है जब यह सभी भाव अच्छी अवस्था में होते है तब समय रहते कर्ज जरूर उतरता है जबकि छठे भाव सहित जब दूसरे और ग्यारहवे भाव की स्थिति किसी कारण से अशुभ/खराब हो रही हो जैसे यह भाव पीड़ित होंगे, अशुभ योग आदि के प्रभाव में होंगे तब कर्ज उतरने में दिक्कत आयेगी और ऐसी स्थिति में ग्रहदशाये भी अशुभ चल रही है और भविष्य में दशाएं भी अशुभ आ रही है तब कर्ज के कारण जीवन में दिक्कत होती है ऐसी अशुभ स्थिति में प्रॉपर्टी, मकान आदि तक बिकने की स्थिति आ जाती है कर्ज के कारण तब कर्ज उतरता है.जबकि छठा भाव, छठा भाव स्वामी और धन/आय भाव(दूसरा/ग्यारहवाँ भाव)अच्छी स्थिति में होंगे और वर्तमान और भविष्य में चल रही ग्रह दशाएं और आने वाली दशाएं भी अनुकूल होंगी तब कर्ज बहुत आसानी से उतरेगा चाहे कैसे भी उतरेगा , उतरेगा कैसे यह निर्भर करेगा कर्ज उतरने या उतारने के रास्ते कुंडली में कैसे बने हुए है?अब कुछ उदाहरणों से उपरोक्त सभी बातों को समझते है:-
#उदाह_अनुसार_मेष_लग्न1:- मेष लग्न में छठे भाव(कर्ज स्वामी)का स्वामी बुध होता है अब बुध यहाँ बलवान होकर शुभ स्थिति में हो जैसे बुध आठवे भाव में जाकर बैठ जाए, जिस कारण बुध से विपरीत राजयोग बनेगा और मेष लग्न में धन और आय स्वामी शुक्र और शनि होते है तब धन/आय स्वामी शुक्र/शनि भी अच्छी अवस्था में हो जिससे धन आगमन अच्छा रहे तब कर्ज बहुत आसानी से उतरेगा और कर्ज के कारण कोई समस्या नही होगी.अब भी यहाँ छठे भाव स्वामी बुध या धन/आय स्वामी शुक्र/शनि की दशाएं आयेगी कर्ज़ से पूरी तरह मुक्ति मिल जायेगी.
#उदाहरण_कन्या_लग्न2:- कन्या लग्न में छठे भाव(कर्ज)स्वामी शनि होता है अब शनि यहाँ बलवान होकर शुभ स्थिति में जो जैसे शनि छठे भाव में ही कुम्भ राशि ने बैठा हो और कुंडली के दूसरे/ग्यारहवे भाव और इनके स्वामियों(धन/आमदनी भाव)की स्थिति भी अच्छी हो तब कर्ज आसानी से उतर जायेगा जबकि बलवान छठे,दूसरे,ग्यारहवे भाव स्वामी की दशा आने पर बहुत जल्द ही कर्ज से मुक्ति मिलकर ,कर्ज उतर जायेगा क्योंकि शुभ बलवान छठे, दूसरे,ग्यारहवे भाव की दशा कर्ज से मुक्ति देगी धन और कर्ज भाव शुभ दशा होने से.
#अब एक उदाहरण से समझते है कब कर्ज उतरने का नाम नही लेता और कर्ज उतरने के रास्ते नही मिलते और लाखों ,करोड़ो का कर्ज बना रहता है और कैसे उतरेगा???
#उदाहरण_अनुसार_वृश्चिक_लग्न3:- वृश्चिक लग्न में छठे भाव(कर्ज)स्वामी मंगल होता है तो दूसरे भाव(धन) स्वामी गुरु बनता है और आय स्वामी बुध होता है अब यहां सर्व प्रथम छठे भाव की स्थिति खराब हो जाये जैसे छठे भाव मेष राशि में यहाँ शनि चन्द्र आकार बैठ जाए जिसे विषयोग नाम का अशुभ योग बनेगा इस विषयोग में शनि नीच राशि का होने से यह विषयोग ज्यादा ही अशुभ है साथ ही छठे भाव का स्वामी जो मंगल है वह भी पीड़ित या अस्त हो जाये तब यहाँ कर्ज के कारण जातक/जातिका को बहुत दिक्कत होने वाली है/दिक्कत होगी क्योंकि कर्ज के घर में अशुभ योग और अशुभ स्थिति है.यहाँ कर्ज के कारण जीवन में कई परेशानियां होने लगेगी लेकिन समय रहते उपाय जातक/जातिका कर्ज मुक्ति के लिए करे तो जैसे ही थोड़ा समय अनुकूल उपायो से होगा या अनुकूल समय शुरू होगा कर्ज से मुक्ति कुछ हद तक जरूर मिल जायेगी और उपाय निरंतर हो तब पूर्णतः कर्ज से धीरे धीरे मुक्ति हो जायेगी.
#नोट:- जब छठे भाव, दूसरे ,ग्यारहवे भाव सम्बन्धी कर्ज उतरने/ धनकारक ग्रहो की दशाएं तब कर्ज उतरने की स्थितियां बनेगी, कर्ज उतरने में दिक्कत होने पर उपाय ही यहाँ कर्ज से राहत दें सकते है.
Astrologer Rohit Gupta