श्रीलंका में बड़ा उलटफेर, मार्क्सवादी नेता दिसानायके होंगे नए राष्ट्रपति, विक्रमसिंघे तीसरे स्थान पर खिसके

श्रीलंका में बड़ा उलटफेर, मार्क्सवादी नेता दिसानायके होंगे नए राष्ट्रपति, विक्रमसिंघे तीसरे स्थान पर खिसके

प्रेषित समय :14:28:26 PM / Sun, Sep 22nd, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर

कोलंबो. संकट से जूझ रहे श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके को भारी बढ़त मिली है. वे श्रीलंका के अगले राष्ट्रपति  बन सकते हैं. श्रीलंका के चुनाव आयोग के मुताबिक दिसानायके ने अब तक गिने गए 10 लाख वोटों में से लगभग 53 फीसदी वोट जीते हैं. विपक्षी नेता साजिथ प्रेमदासा 22 प्रतिशत वोटों के साथ दूसरे स्थान पर और राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे तीसरे स्थान पर हैं. चुनाव में कुल 75 फीसदी मतदान रिकॉर्ड किया गया.

अनुरा कुमारा दिसानायके की पार्टी का नाम जनता विमुक्ति पेरेमुना है. यह नेशनल पीपुल्स पावर गठबंधन का हिस्सा है. वहीं अनुरा कुमारा गठबंधन के उम्मीदवार हैं. अनुरा कुमार की पार्टी अर्थव्यवस्था में मजबूत राज्य हस्तक्षेप, कम टैक्स और अधिक बंद बाजार जैसी आर्थिक नीतियों का समर्थन करती है. 55 वर्षीय अनुरा कुमार दिसानायके की श्रीलंका में पहचान जोशीले भाषण देने वाले नेता के रूप में होती है.

अनुरा कुमारा की पार्टी जेवीपी के पास संसद में सिर्फ तीन सीटें हैं. मगर दिसानायके ने भ्रष्टाचार विरोधी सख्त कदम और गरीबों के हित में नीतियों को लागू करने के अपने वादों से उन्होंने जनता के दिलों में अपनी जगह बनाई. उन्होंने जनता के सामने खुद को बदलाव लाने वाले नेता के तौर पर पेश किया. अनुरा ने चुनाव में वादा किया कि अगर वह सत्ता में आते हैं तो 45 दिनों के भीतर संसद को भंग कर देंगे.

मैं जनादेश का सम्मान करता हूं

उधर, श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने एक्स पर लिखा, एक लंबे और कठिन अभियान के बाद चुनाव के परिणाम अब स्पष्ट हैं. हालांकि मैंने राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के लिए काफी प्रचार किया, मगर श्रीलंका की जनता ने अपना निर्णय ले लिया है और मैं अनुरा कुमारा दिसानायके के लिए उनके जनादेश का पूरी तरह से सम्मान करता हूं.

2022 में बिगड़े थे श्रीलंका के आर्थिक हालात

साल 2022 में विदेशी मुद्रा भंडार में भारी कमी की वजह से श्रीलंका को अभूतपूर्व आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा था. हालात इतने बिगड़ चुके थे कि ईंधन, दवा और रसोई गैस समेत आवश्यक वस्तुओं के आयात का भुगतान करने में भी श्रीलंका असमर्थ था. मंहगाई और आवश्यक वस्तुओं की कमी से खफा लोगों ने राष्ट्रपति के कार्यालय और आवास पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को भागना पड़ा था और बाद में इस्तीफा भी देना पड़ा. श्रीलंका अभी तक इस संकट से नहीं उबरा है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-