रांची. झारखंड सरकार ने करीब 1.77 लाख किसानों का दो लाख रुपए तक का कृषि लोन माफ कर दिया. राजधानी के प्रभात तारा मैदान में कृषि ऋण माफी समारोह में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने किसानों के खाते में 400.60 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए.
सीएम ने भाजपा और केंद्र सरकार पर जमकर हमला किया. उन्होंने कहा-भाजपा से राजनीतिक और कानूनी लड़ाई, दोनों जीतेंगे. लोकसभा चुनाव के समय गलत मुकदमे में फंसा कर इन लोगों ने जेल भेज दिया. अब विभिन्न योजनाओं के खिलाफ कोर्ट जाकर उसे बंद कराने की साजिश कर रहे हैं. लेकिन, हम इनसे डरने वाले नहीं हैं. भाजपा सांप्रदायिक तनाव फैलाती है. धर्म के नाम पर लड़ाती है. इनसे अपना राज्य तो संभल नहीं रहा है, दूसरे राज्य में आकर तोडफ़ोड़ की राजनीति कर रहे हैं. ये झारखंड के गांव-गांव में गिद्ध की तरह मंडरा रहे हैं. पांच साल में एक बार शक्ल दिखाने आए हैं. फिर गायब हो जाएंगे. इन लोगों से होशियार रहने की जरूरत है. इन्होंने अधिकतर सरकारी संपत्ति बेच दी. अब गरीब किसानों को भी व्यापारियों के हाथ बेच देंगे. हम किसानों के पैसे माफ करते हैं और ये अपने व्यापारी मित्रों के पैसे माफ करते हैं. झारखंड में इन्होंने 20 साल तक राज किया, लेकिन इनके हिस्से में एक भी उपलब्धि नहीं है.
दूध उत्पादकों को अब पांच रुपए प्रोत्साहन राशि मिलेगी
मुख्यमंत्री ने दूध उत्पादकों की प्रोत्साहन राशि दो रुपए से बढ़ाकर पांच रुपए प्रति लीटर करने और फसल बीमा एक रुपए में करने की योजना भी शुरू की. इससे 16 लाख किसानों को सीधा लाभ होगा. उन्होंने कहा कि भाजपा के पास किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देने के पैसे नहीं हैं, लेकिन पूंजीपतियों का लोन माफ करने के पैसे हैं. समारोह को वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव, कृषि मंत्री दीपिका पांडेय सिंह और श्रम नियोजन मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने भी संबोधित किया.
हेमंत का भाजपा पर तंज
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्यभर से आए किसानों का अभिवादन करते हुए कहा-झारखंड सरकार आपके साथ है. आपको आर्थिक रूप से मजबूत बनाना सरकार का लक्ष्य है. यह उसी दिशा में उठाया गया कदम है.
यह ऋण माफी जुटान नहीं, किसानों के सम्मान का महाजुटान है
हेमंत सोरेन ने कहा कि रांची में आज ऋण माफी जुटान नहीं है, बल्कि यह किसानों के सम्मान का महाजुटान है. राज्य के 80 फीसदी लोग गांव-देहात में रहते हैं. वे खेती-बाड़ी से जुड़े हैं. इसी से इनका जीवन-यापन होता है. किसानों के पास बोरा भरकर पैसे नहीं हैं. बैंक बैलेंस नहीं हैं. कोई एटीएम कार्ड भी नहीं है. बड़ी मुश्किल से इनका बैंक में खाता खुलता है. मेहनत-मजदूरी करके उस खाते में पैसे जमा करने की कोशिश करते हैं. हमारे किसानों का बैंक खाता और एटीएम उनका खलिहान होता है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-