अनिल मिश्र/गया
सत्रह सितंबर से बिहार के गया में पितरों के मोक्ष का मेला यानी पितृपक्ष मेला लगा हुआ है.जो दो अक्टूबर तक चलेगा.इस मौके पर देश के विभिन्न जगहों से पिण्ड दानी यहां पहुंचकर अपने पुर्वजों की आत्मा की शान्ति और मोक्ष प्रदान करने के लिए तर्पण और पिंडदान कर रहे हैं.इसी बीच कल देर शाम अफ्रीका, रूस, यूक्रेन सहित आधा दर्जन देशों से करीब 15 तीर्थयात्री का जत्था गया पहुंचा जो ईसाई धर्म को मानने वाले हैं.
बिहार के गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला चल रहा है.पितृपक्ष मेले में देश और विदेशों से तीर्थ यात्री यहां पितरों के निमित पिंडदान का कर्मकांड करते हैं.एक बार फिर से गयाजी धाम में सात समुंदर पार से विदेशियों का जत्था पहुंचा है.
ये विदेशियों का जत्था अफ्रीका, नाइजीरिया, कजाकिस्तान, रूस, यूक्रेन और यमन से गया आया है. गया पहुंचकर सबसे पहले इन लोगों ने विष्णु पद मंदिर में भगवान विष्णु के चरण चिन्ह के दर्शन किए.
गया पहुंचते ही अफ्रीका, नाइजीरिया, कजाकिस्तान, यूक्रेन, रुस, यमन आदि देशों से आए विदेशी तीर्थयात्री गया जी तीर्थ क्षेत्र में पहुंचे हैं.गया जी तीर्थ क्षेत्र में उन्होंने भ्रमण किया और भगवान विष्णु के चरण चिन्ह के दर्शन किए.मोक्ष भूमि गया जी के प्रति विदेशियों की श्रद्धा लगातार बढ़ती जा रही है. यही वजह है कि अब हर साल पितृपक्ष मेले की अवधि के बीच सात समुंदर पार से विदेशियों का जत्था गया जी धाम को पहुंचता है. पिंडदान करने पहुंचे कई देशों से 15 तीर्थ यात्री: इस संबंध में विदेश में इस्कॉन मंदिर से जुड़े स्वामी लोकनाथ गौड़ ने बताया कि विभिन्न देशों जैसे अफ्रीका, नाइजीरिया, कजाकिस्तान, यूक्रेन, रुस एवं यमन से तीर्थ यात्री गया जी पहुंच चुके हैं.गया जी पहुंचकर देवघाट तट का भ्रमण किया और विष्णु पद मंदिर में भगवान विष्णु के चरण चिन्ह के दर्शन भी किये. अभी फिलहाल 15 विदेशी तीर्थयात्री आ चुके हैं.इसमें महिला और पुरुष दोनों शामिल है.आज रविवार को इन विदेशियों की टीम गया से पन्द्रह किलोमीटर की दूरी पर स्थित भगवान बुद्ध के ज्ञान स्थली बोधगया का परिभ्रमण कर रहा है. वहीं कल यानी सोमवार को इन लोग तर्पण और पिंडदान का कर्मकांड करेंगें.उसके बाद पुनः विष्णु पद मंदिर का दर्शन करते हुए स्वदेश लौट जायेंगे.इन विदेशियों का दल गया पहुंचने से पहले वाराणसी में भी परिभ्रमण कर देर शाम पहुंचा है.
पूर्वजों-पितरों के मोक्ष की कामना का पर्व पितृपक्ष मेला होता है. इसके प्रति विदेशियों की आस्था बढ़ रही है. उसमें भी सनातन धर्म को छोड़कर कर दूसरे धर्म के लोग अपने पुर्वजों की मुक्ति के लिए मोक्ष नगरी पहुंच रहे हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-