नई दिल्ली. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार पहली बार 700 अरब डॉलर को पार कर गया है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई ) के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा भंडार 27 सितंबर को समाप्त हफ्ते के दौरान 12.5 बिलियन डॉलर बढ़कर 704.89 बिलियन डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2024 में अब तक 87.6 अरब डॉलर बढ़ चुका है. यह आंकड़ा पिछले वर्ष (2023) की कुल वृद्धि 62 अरब डॉलर के आंकड़े को सितंबर महीने में ही पार कर चुका है.
चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के बाद भारत 700 अरब डॉलर के भंडार को पार करने वाली विश्व की चौथी अर्थव्यवस्था बन गया है. देश 2013 से अपने विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने पर जो दे रहा है. यह चलन तब शुरू हुआ था, जब कमजोर वृहद आर्थिक परिदृश्य के कारण विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से पैसा निकालना शुरू कर दिया था. इससे पहले, 20 सितंबर को समाप्त सप्ताह में भारत का फॉरेक्स रिजर्व 2.8 बिलियन डॉलर बढ़कर 692.3 बिलियन डॉलर हो गया था. भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जारी साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां 10.4 अरब डॉलर बढ़कर 616 बिलियन डॉलर हो गईं. डॉलर के संदर्भ में व्यक्त, एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में वृद्धि या कमजोरी का प्रभाव शामिल रहता है.
स्वर्ण भंडार और एसडीआर में भी इजाफा
वहीं, समीक्षाधीन हफ्ते के दौरान सोने के भंडार में दो अरब डॉलर की वृद्धि दर्ज की गई और यह 65.7 अरब डॉलर हो गया. उक्त सप्ताह के दौरान एसडीआर (विशेष आहरण अधिकार) में आठ मिलियन डॉलर की मामूली वृद्धि देखी गई और यह 18.547 अरब डॉलर हो गया. इस दौरान आईएमएफ में रिजर्व की स्थिति 71 मिलियन डॉलर घटकर 4.3 अरब डॉलर रह गई. बैंक ऑफ अमेरिका के अनुसार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार मार्च 2026 तक 745 अरब डॉलर तक बढ़ जाएगा, जिससे भारतीय रिजर्व बैंक को रुपये को प्रभावित करने की अधिक संभावित शक्ति मिलेगी.
बैंक ऑफ अमेरिका ने आरबीआई पर की ये टिप्पणी
ब्लूमबर्ग ने बैंक ऑफ अमेरिका के विश्लेषकों राहुल बाजोरिया और अभय गुप्ता के हवाले से बताया है कि मौद्रिक प्राधिकरण आकस्मिक बाहरी जोखिमों के खिलाफ बफर बनाने की अपनी इच्छा के कारण बड़े विदेशी मुद्रा भंडार रखने के बारे में निश्चिंत है. उन्होंने कहा कि भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में पर्याप्तता अन्य प्रमुख उभरते बाजारों की तुलना में मजबूत प्रतीत होता है, लेकिन जरूरी नहीं कि यह बहुत अधिक हो. यह राशि रुपये को बाहरी झटकों के खिलाफ स्थिरता प्रदान करती है. आरबीआई अपने भंडार का उपयोग रिकॉर्ड निचले स्तर के करीब मंडरा रही भारतीय मुद्रा में अत्यधिक उतार-चढ़ाव को सीमित करने के लिए करता है.
आरबीआई विदेशी मुद्रा बाजारों पर बारीकी से रखता है नजर
आरबीआई समय-समय पर रुपये में भारी गिरावट को रोकने के लिए डॉलर की बिक्री सहित तरलता प्रबंधन के माध्यम से बाजार में हस्तक्षेप करता है. आरबीआई विदेशी मुद्रा बाजारों पर बारीकी से नजर रखता है और किसी पूर्व-निर्धारित लक्ष्य स्तर या बैंड को ध्यान में रखे ना, विनिमय दर में अत्यधिक अस्थिरता को नियंत्रित करके केवल व्यवस्थित बाजार स्थितियों को बनाए रखने के लिए अपनी ओर से हस्तक्षेप करता है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-