दीपिका कुमारी बामणिया
जैसलमेर, राजस्थान
नस्लों पर मरना छोड़ो,
दिल से बन जाओ भारतवासी,
बातों की बातें छोड़ो,
लेखनी से लाओ आजादी,
बीत चुकी बातों को छोड़ो,
जीवन में अपनाओं आजादी,
ताले खोलो, पिंजरे तोड़ो,
पंछी को दो उड़ने की आजादी,
जात-पात की बात को छोड़ो,
रूढ़िवादियों से लो आजादी,
धर्म-भाषा पर लड़ना छोड़ो,
नफरतों से लो आजादी,
नदियों का बंटवारा छोड़ो,
बांधों से अब लो आजादी,
धरती के टुकड़ों को छोड़ो,
आसमां पर लो आजादी,
मजहब पर मरना छोड़ो,
रंगों से लो आजादी,
राजमहलों में मुकुट को छोड़ो,
फकीरों से लो आजादी,
कमियां निकालने की आदत छोड़ो,
खुशियों की लो आजादी।।
चरखा फीचर्स
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