श्रेया जोशी
कपकोट, बागेश्वर
उत्तराखंड
मेहनत कर कुछ करने गई,
हिंसा ने अपना रूप दिखाया,
इतनी क्रूर हरकत देखकर,
छिपने पर मजबूर कराया,
कब तक होगा यह अत्याचार?
क्या हमारा वजूद मिट जाएगा?
कब तक सोए रहोगे तुम लोग?
क्या कोई हमें न्याय नहीं दिलाएगा?
जो तुमको जीवन दे जाती है,
हर वक्त यह तुम्हें बचाती है,
पर अपनी इज्जत के खातिर,
क्यों हर बार झुक जाती है?
कब तक रोएगी घुट घुट कर?
कोई इन दोषियों को सजा नहीं सुनाएगा?
कब तक घूमेंगे ये लोग ऐसे ही?
क्या फिर कोई और शिकार बन जाएगा?
जब जब हमारे साथ अन्याय होता है,
तब तब आवाज़ें उठती हैं,
फिर कुछ दिन में सब भूल जाते हैं,
फिर नए केस बन जाते हैं।।
चरखा फीचर्स
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