आंचल आर्य
सिमतोली, उत्तराखंड
मंज़िल तक जाना है,
सपनों को पूरा करना है,
आसमान पर मुझे झलकना है,
रुकावटों की दीवारों को लांघ कर,
दुनिया की भीड़ से आगे निकलना है,
लोग उठाएंगे उंगलियां, तो उठाएं,
मुझे नहीं किसी के आगे झुकना है,
मुझे आगे बढ़ना और आगे ही,
रुकना नहीं, बढ़ते चले जाना है,
लोग मुझे खींचेंगे पीछे की ओर,
पर मुझे नहीं घबराना है,
क्यों सुनूंगी मैं लोगों की बातें?
हर बातों से आगे निकल जाना है,
मुझे आगे बढ़ते जाना है और,
सपनों को पूरा करते जाना है॥
चरखा फीचर्स
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