चोरी गई वस्तु मिलेगी या नहीं मिलेगी. मिलेगी तो कब तक मिलेगी इस बात तक का पता ज्योतिष शास्त्र के जरिए लगाया जा सकता है.
आजकल जिस तरह से आर्थिक असमानता बढ़ती जा रही है. चोरी का भय भी बढ़ता जा रहा है. लोग अपना घर सूना छोड़ने में डरने लगे हैं. किस पर विश्वास करें, किस पर न करें यह बड़ा विचारणीय प्रश्न बन गया है. कई बार लोगों को बड़ा नुकसान हो जाता है, जब उनके घर, व्यापारिक प्रतिष्ठान या यात्रा आदि के दौरान सामान चोरी हो जाता है.
ज्योतिष वाकई एक शास्त्र से बढ़कर विज्ञान है, जिसमें प्रत्येक प्रश्न का उत्तर समाया हुआ है. चोरी गई वस्तु मिलेगी या नहीं मिलेगी. मिलेगी तो कब तक मिलेगी इस बात तक का पता ज्योतिष शास्त्र के जरिए लगाया जा सकता है.
ज्योतिष के अनुसार अलग-अलग नक्षत्रों में चोरी गई वस्तुओं के मिलने या न मिलने का अलग-अलग परिणाम होता है. जिस समय हमें अपनी चोरी गई वस्तु का पता लगे उस समय के नक्षत्र या अंतिम बार आपने फलां वस्तु को किस वक्त देखा था, उस समय के नक्षत्र के अनुसार चोरी गई वस्तु का विचार किया जाता है.
1. रोहिणी, पुष्य, उत्तरा फाल्गुनी, विशाखा, पूर्वाषाढ़ा, धनिष्ठा और रेवती को ज्योतिष में अंध नक्षत्र माना गया है. इन नक्षत्रों में चोरी होने वाली वस्तु पूर्व दिशा में जाती है और जल्दी मिल जाती है. इन नक्षत्रों में यदि कोई वस्तु चोरी हुई है तो वह अधिक दूर नहीं जाती है उसे आसपास ही तलाशना चाहिए.
2. मृगशिरा, अश्लेषा, हस्त, अनुराधा, उत्तराषाढ़ा, शतभिषा, अश्विनी ये मंद नक्षत्र कहे गए हैं. इन नक्षत्रों में यदि कोई वस्तु चोरी होती है तो वह तीन दिन में मिलने की संभावना रहती है. इन नक्षत्रों में गई वस्तु दक्षिण दिशा में प्राप्त होती है. साथ ही वह वस्तु रसोई, अग्नि या जल के स्थान पर छुपाई होती है.
3. आर्द्रा, मघा, चित्रा, ज्येष्ठा, अभिजीत, पूर्वाभाद्रपद, भरणी ये मध्य लोचन नक्षत्र होते हैं. इन नक्षत्रों में चोरी गई वस्तुएं पश्चिम दिशा में मिल जाती हैं. वस्तु के संबंध में जानकारी 64 दिनों के भीतर मिलने की संभावना रहती है. यदि 64 दिनों में न मिले तो फिर कभी नहीं मिलती. इस स्थिति में वस्तु के अत्यधिक दूर होने की जानकारी भी मिल जाती है, लेकिन मिलने में संशय रहता है.
4. पुनर्वसु, पूर्वाफाल्गुनी, स्वाति, मूल, श्रवण, उत्तराभाद्रपद, कृतिका को सुलोचन नक्षत्र कहा गया है. इनमें गई वस्तु कभी दोबारा नहीं मिलती. वस्तु उत्तर दिशा में जाती है, लेकिन पता नहीं लगा पाता कि कहां रखी गई है या आप कहां रखकर भूल गए हैं.
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प्रश्न: लग्न के अनुसार भी चोरी गई वस्तु के संबंध में विचार किया जाता है. यदि कोई व्यक्ति चोरी गई वस्तु के संबंध में जानने के लिए आए और प्रश्न करे तो जिस समय वह प्रश्न करे उस समय की लग्न कुंडली बना लेना चाहिए. या जिस समय वस्तु चोरी हुई है उस समय गोचर में जो लग्न चल रहा था उसके अनुसार फल कथन किया जाता है.
चोर ब्राह्मण वर्ग का व्यक्ति होता है
1. मेष लग्न मेष वस्तु चोरी हुई हो प्रश्नकाल में मेष लग्न हो तो चोरी गई वस्तु पूर्व दिशा में होती है. चोर ब्राह्मण वर्ग का व्यक्ति होता है और उसका नाम स अक्षर से प्रारंभ होता है. नाम में दो या तीन अक्षर होते हैं.
2. वृषभ लग्न में वस्तु चोरी हुई हो तो वस्तु पूर्व दिशा में होती है और चोर क्षत्रिय वर्ण का होता है. उसके नाम में आदि अक्षर म रहता है तथा नाम चार अक्षरों वाला होता है.
3. मिथुन लग्न में चोरी गई वस्तु आग्नेय कोण में होती है. चोरी करने वाला व्यक्ति वैश्य वर्ण का होता है और उसका नाम क ककार से प्रारंभ होता है. नाम में तीन अक्षर होते हैं.
4. कर्क लग्न में वस्तु चोरी होने पर दक्षिण दिशा में मिलती है और चोरी करने वाला शूद्र होता है. उसका नाम त अक्षर से प्रारंभ होता है और नाम में तीन वर्ण होते हैं.
चोरी गई वस्तु का पता भी बताता है ज्योतिष शास्त्र
वस्तु नैऋत्य कोण में होती है
5. सिंह लग्न में चोरी हो तो वस्तु नैऋत्य कोण में होती है. चोरी करने वाला नौकर, सेवक होता है. चोर का नाम न से प्रारंभ होता है और नाम तीन या चार अक्षरों का होता है.
6. प्रश्नकाल या चोरी के समय कन्या लग्न हो तो चोरी गई वस्तु पश्चिम दिशा में होती है. चोरी करने वाली कोई स्त्री होती है और उसका नाम म से प्रारंभ होता है. नाम में कई वर्ण हो सकते हैं.
7. चोरी के समय तुला लग्न हो तो वस्तु पश्चिम दिशा में जानना चाहिए. चोरी करने वाला पुत्र, मित्र, भाई या अन्य कोई संबंधी होता है. इसका नाम म से प्रारंभ होता है और नाम में तीन वर्ण होते हैं. तुला लग्न में गई वस्तु बड़ी कठिनाई से प्राप्त होती है.
8. वृश्चिक लग्न में चोरी गई वस्तु पश्चिम दिशा में होती है. चोर घर का नौकर ही होता है और उसका नाम स अक्षर से प्रारंभ होता है. नाम चार अक्षरों वाला होता है. चोरी करने वाला उत्तम वर्ण का होता है.
9. प्रश्नकाल या चोरी के समय धनु लग्न हो तो चोरी गई वस्तु वायव्य कोण में होती है. चोरी करने वाली कोई स्त्री होती है और उसका नाम स अक्षर से प्रारंभ होता है. नाम में चार वर्ण पाए जाते हैं.
10. चोरी के समय मकर लग्न हो तो चोरी गई वस्तु उत्तर दिशा में समझनी चाहिए. चोरी करने वाला वैश्य जाति का होता है. नाम चार अक्षरों का होता है और वह स से प्रारंभ होता है.
11. प्रश्नकाल या चोरी के समय कुंभ लग्न हो तो चोरी गई वस्तु उत्तर या उत्तर-पश्चिम दिशा में होती है. इस प्रश्न लग्न के अनुसार चोरी करने वाला व्यक्ति कोई मनुष्य नहीं होता बल्कि चूहों या अन्य जानवरों के द्वारा इधर-उधर कर दी जाती है.
12. मीन लग्न में वस्तु चोरी हुई हो तो वस्तु ईशान कोण में होती है. चोरी करने वाला निम्न जाति का व्यक्ति होता है. वह व्यक्ति चोरी करके वस्तु को जमीन में छुपा देता है. ऐसे चोर का नाम व अक्षर से प्रारंभ होता है और उसके नाम में तीन अक्षर रहते हैं. चोर कोई परिचित महिला या नौकरानी भी हो सकती है.