हाईकोर्ट ने जिला कोर्ट के फैसले को पलटा, फांसी के स्थान पर 25 साल की सजा सुनाई..!

हाईकोर्ट ने जिला कोर्ट के फैसले को पलटा, फांसी के स्थान पर 25 साल की सजा सुनाई..!

प्रेषित समय :18:05:42 PM / Sat, Oct 19th, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर

पलपल संवाददाता, जबलपुर/सागर. एमपी के बंडा जिला सागर में वर्ष 2019 में 11 वर्षीय बालिका के साथ गैंगेरप के बाद गला काटकर हत्या के मामले में आरोपी रामप्रसाद अहिरवार व उनके भाई बंसीलाल अहिरवार को जिला अदालत ने फांसी की सजा से दंडिया किया. इस मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बंसीलाल को बरी कर दिया गया. वहीं रामप्रसाद अहिरवार की फांसी की सजा को 25 साल में बदल दिया गया.

हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि आरोपी रामप्रसाद ने अपना जुर्म कबूल कर लिया था. लिहाजा उसकी फांसी की सजा में माफी दी जाए. जस्टिस विवेक अग्रवाल एवं जस्टिस देव नारायण मिश्रा की युगलपीठ ने सागर अंतर्गत बंडा में मासूम बहन से दुष्कर्म के बाद सिर काटकर जघन्य हत्या के बहुचर्चित मामले में जिला सत्र न्यायालय के फैसले को पलट दिया है. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि यह मामला दुर्लभतम मामलों की श्रेणी में नहीं आता है. जहां अपीलकर्ता को केवल मृत्युदंड ही दिया जाना उचित है. इस मामले में आरोपी चाची सुशीला अहिरवार को कोर्ट ने बरी कर दिया गया है. आरोपी नाबालिग दोनों भाइयों की सुनवाई किशोर न्यायालय में लंबित है. मार्च 2019 में बंडा के अपर सत्र न्यायाधीश उमाशंकर अग्रवाल ने यह फैसला सुनाया था. हाईकोर्ट में सुनवाई हुई व कोर्ट ने बंसीलाल को दोषमुक्त कर दिया गया जबकि रामप्रसाद अहिरवार की फांसी की सजा को 25 साल में बदल दिया गया. हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट मनीष दत्त ने बताया कि आरोपी रामप्रसाद पेशेवर हत्यारा नहीं है यह उसका पहला अपराध है. इससे पहले वह कभी भी किसी भी आपराधिक मामले में लिप्त नहीं था. इसलिए उसे आदतन अपराधी नहीं माना जा सकता है. अधिवक्ता मनीष दत्त ने कोर्ट के सामने दलील दी कि जिला सत्र न्यायालय सागर ने इस मामले को विरल से विरलतम श्रेणी में रखकर मृत्युदंड जैसा अपेक्षाकृत कठोर फैसला सुना दिया. इस पूरी सुनवाई के दौरान सरकारी वकील मृतिका की वास्तविक आयु सिद्ध करने में भी विफल रहा है. आरोपित व्यक्ति के माता-पिता की मजदूर पृष्ठभूमि से आते हैं. हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपी ने अपराध स्वीकार कर लिया था. वह समाज में मजदूर वर्ग से आता है इसलिए उसकी सामाजिक आर्थिक पृष्ठभूमि, शिक्षा के स्तर को ध्यान में रखते हुए सजा बदली गई है. हाईकोर्ट ने कहा कि मृत्युदंड के स्थान पर पश्चाताप से ग्रस्त एक युवा को सुधार करने और एक बेहतर नागरिक बनने के लिए इसी जीवन में अवसर मिलना चाहिए. हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि शिक्षा व सामाजिक संपर्क का स्तर जातिगत गतिशीलता, हमारे समाज में मौजूद ग्रामीण शहरी विभाजन के सामाजिक परिवेश के संदर्भ में देखा जाना चाहिए. यद्यपि हत्या करना क्रूरता है लेकिन राम प्रसाद अहिरवार की आयु व उसके द्वारा अपराध स्वीकार करने को भी ध्यान में रखना चाहिए. गौरतलब है कि यह घटना सागर के बंडा में 13 मार्च 2019 की हुई थी. 14 मार्च को बच्ची के पिता ने बंडा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी, उसकी बेटी को अज्ञात व्यक्ति बहला-फुसलाकर ले गया. तलाशी के दौरान बेरखेड़ी मौजाहार में बच्ची की सिर कटी लाश मिली. बच्ची का सिर व धड़ अलग-अलग मिले थे. पुलिस ने अज्ञात आरोपी के खिलाफ धारा 302 के तहत केस दर्ज कर जांच की. वहीं शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में डॉक्टर द्वारा गैंगरेप की पुष्टि की गई. इस पर मामले में धारा 376, 377 भादवि एवं 5/6 पॉक्सो एक्ट की धाराएं बढ़ाई गईं. आरोपियों ने बच्ची के साथ बारी&बारी से दुष्कर्म किया. इसके बाद हंसिया से गला काटकर हत्या कर दी गई. बंडा थाना प्रभारी ने जांच रिपोर्ट जिला कोर्ट के समक्ष पेश किया था. मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रकरण को विरले से विरलतम श्रेणी में माना गया. 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-