कार्तिक मास में प्रतिदिन भगवान कृष्ण को घी या तिल के तेल का दीपक अर्पण करना चाहिए. स्कंद पुराण में कार्तिक मास में भगवान कृष्ण को दीप अर्पण करने की महिमा इस प्रकार बताई गई है.
जो कार्तिक मास में भगवान कृष्ण को दीप अर्पण करते हैं उनके लाखों जन्मों के पाप पलक झपकते ही नष्ट हो जाते हैं.
कार्तिक मास में दीप अर्पण करने से मनुष्य को जो सूर्य ग्रहण के समय कुरुक्षेत्र में स्नान करने या चंद्र ग्रहण में नर्मदा में स्नान करने से जो पुण्य प्राप्त होता है उससे एक करोड़ गुना अधिक पुण्य प्राप्त होता है.
यदि कोई मनुष्य कार्तिक मास में भगवान कृष्ण को घी अर्पित करता है तो उसे अश्वमेध यज्ञ करने की क्या आवश्यकता है?
यदि कोई मंत्र, पुण्य और पवित्रता से विजन है, तब भी कार्तिक मास में दीप अर्पण करने से वह सब कुछ सिद्ध कर सकता है.
जो मनुष्य कार्तिक मास में भगवान केशव को दीप अर्पण करता है, वह सभी यज्ञों को और सभी पवित्र नदियों में स्नान करता है, यह समझा जाता है.
पितृ कहते हैं: जब हमारे कुल में कोई भगवान गणेश को कार्तिक मास में दीप अर्पण करके अपील करेगा तो, उन सुदर्शन धारी भगवान की कृपा से हम सबको मुक्ति मिल जाएगी.
कार्तिक मास में दीप अर्पण करके मनुष्य मेरु या मंदार पर्वत के समान विशाल पाप संग्रह को भस्म कर सकता है. इसमें तनिक भी संदेह नहीं है.
कार्तिक मास में भगवान केशव को दीप अर्पण करने वाले व्यक्ति को वो फल प्राप्त होता है जो एक सौ यज्ञ करता है, एक सौ तीर्थ यात्राएं करके भी प्राप्त नहीं किया जा सकता है.
पाप कर्मों में बुराई और पुण्यों का विरोधी व्यक्ति, यदि किसी प्रकार से कार्तिक मास में दीप अर्पण करे तो वह भी पवित्र हो जाता है. इसमें कोई संदेह नहीं है.
इस संसार के त्रिलोकों में कोई ऐसा पाप नहीं है जो कार्तिक मास में भगवान केशव को दीप अर्पण करने से नष्ट न हो सके.
जो मनुष्य कार्तिक मास में भगवान कृष्ण को दीप अर्पण करता है वह भगवान के शाश्वत दिव्य धाम को जाता है, जो सभी कलशों के पार है.
जो व्यक्ति कार्तिक मास में भगवान श्री कृष्ण को दीपदान करता है, वह शाश्वत आध्यात्मिक लोक को प्राप्त करता है, जहां कोई दु:ख नहीं होता..