*_24 अक्टूबर 2024 : दीपावली के पहले महामुहूर्त में गुरु पुष्य नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग विशेष महत्व रखता है. यह समय समृद्धि और शुभता के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है. गुरु का त्रिकोण योग भी धन, स्वास्थ्य और समृद्धि को आकर्षित करने के लिए उत्तम होता है. इस दिन पूजा-पाठ और दीप जलाने से आपको विशेष लाभ मिल सकता है. आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा. दीपावली के पहले महामुहूर्त का विशेष महत्व होता है, जिसमें विभिन्न शुभ योग और नक्षत्र एकत्रित होते हैं. इस साल 24 अक्टूबर को गुरु पुष्य नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग है, जो कि समृद्धि और सफलता के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है._*
*_इस दिन विशेष रूप से लक्ष्मी पूजन, दीप जलाने और घर की साफ-सफाई पर ध्यान देना चाहिए. ये उपाय आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि लाने में सहायक हो सकते हैं. 24 अक्टूबर को गुरु पुष्य नक्षत्र होने से यह दिन विशेष महत्व रखता है. पुष्य नक्षत्र को सुख और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. इस दिन गुरु का प्रभाव अधिक होता है, जो कि ज्ञान, शिक्षा और धन का कारक होता है.
*_खरीदारी के लिए बन रहा है महा-मुहूर्त_*
*_कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर इस वर्ष 24 अक्टूबर, गुरुवार को गुरु पुष्य नक्षत्र का दुर्लभ संयोग बन रहा है. इसे अत्यंत शुभ माना जाता है. जो लोग नया काम शुरू करने या कोई निवेश करने की योजना बना रहे हैं, उनके लिए यह विशेष दिन बहुत महत्वपूर्ण है. ज्योतिष शास्त्र में पुष्य नक्षत्र को बहुत ही शुभ और समृद्धि प्रदान करने वाला माना जाता है. इसे खरीदारी के लिए महा-मुहूर्त भी कहा जाता है.
*_सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग_*
*_24 अक्टूबर को गुरु पुष्य नक्षत्र के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है, जो इस दिन को और भी खास बनाता है. सर्वार्थ सिद्धि योग का अर्थ है कि इस दिन शुरू किए गए सभी काम सफल होते हैं. नया व्यवसाय या कारोबार शुरू करने के लिए यह दिन बहुत ही शुभ है. अगर कोई नई योजना या प्रोजेक्ट पहले से बना हुआ है, तो उसे इसी दिन शुरू करना सबसे अच्छा रहेगा. नया प्रतिष्ठान स्थापित करने और दुकान या ऑफिस खोलने के लिए भी यह शुभ समय है.
*_शनि और बृहस्पति का केन्द्र-त्रिकोण योग_*
*_शनि इस समय कुंभ राशि में और बृहस्पति वृष राशि में गोचर कर रहे हैं. पुष्य नक्षत्र के दिन इन ग्रहों की युति विशेष लाभकारी रहेगी. शनि का केन्द्र योग स्थायित्व प्रदान करता है. वहीं बृहस्पति का त्रिकोण योग भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति का कारक है. इस दिन सोना, चांदी, लोहा और वाहन खरीदना शुभ माना जाता है. इसके साथ ही भूमि, भवन और व्यापारिक प्रतिष्ठान जैसे निवेश में स्थायित्व और समृद्धि की प्रबल संभावना है.
आकाश दीपदान
कार्तिक मास में जो *पितरों के निमित्त* आकाश दीपदान करते हैं, उनके पितृ नरक में हों तो भी उत्तम गति को प्राप्त होते हैं. _(स्कन्द पुराण वै. खण्ड)_
आकाशदीप अर्थात् भगवान *विष्णु के मन्दिर के कंगूरे* पर रात्रि में पूरे कार्तिक मास दीप रखना.
विष्णु मन्दिर यानि भगवान विष्णु के 24 अवतारों वाले मन्दिर. राम, कृष्ण, नृसिंह आदि के मन्दिर.
_*नमः पितृभ्य: प्रेतेभ्यो नमो धर्माय विष्णवे.*_
_*नमो यमाय रुद्राय कान्तारपतये नमः..*_
उक्त मन्त्र का उच्चारण करते हुए पितरों के निमित्त आकाश दीप दान करना चाहिए.
देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के निमित्त *कपूर का दीपक* जलाने से वंश वृद्धि, धन वृद्धि होती है. _(स्कन्द पुराण)_
दान हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुख होकर देना चाहिए. दान लेने वाले का मुख उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए. _(अग्नि पुराण)_
दान हमेशा तिल, अक्षत (चावल), कुश और जल हाथ में लेकर देना चाहिए.
जिस घर में श्वान होता है, उस घर में देवता एवं पितृ प्रवेश नहीं करते हैं.
Astro nirmal