राजनीति में सफलता के लिए पहले, चौथे, दसवें और ग्यारहवें भाव की भूमिका ज्यादा होती है क्योंकि पहला घर स्वयं का व्यक्तित्व होता है तो चतुर्थ भाव जनता का, दसवां घर राज्य का और ग्यारहवां घर लाभ का और सामाजिक विस्तार का घर है इसको ऐसे भी समझ सकते हैं - सूर्य राजा है यदि सूर्य स्वयं की या उच्च राशि में होकर केंद्र त्रिकोण आदि शुभ भावों में बैठा हो या मित्र राशि में शुभ भाव में हो या दसवें घर पर सूर्य की दृष्टि हो तो राजनीति में सफलता मिल सकती है.
चतुर्थ भाव जनता का भाव है इसलिए अगर चतुर्थेश चौथे घर में हो या उस पर दृष्टि हो. शनि उच्च का होकर केंद्र या त्रिकोण में हो या बृहस्पति बलवान होकर लग्न में बैठा हो या दशमेश और चतुर्थेश का सम्बन्ध बन रहा हो तो राजनितिक जीवन में सफलता मिल सकती है. इसी तरह सूर्य और बृहस्पति या चन्द्रमा और बृहस्पति का योग बन रहा हो तो राजनैतिक सफलता दिला सकता है. राजनीति मे सफलता के लिए कुछ विशेष योग जरूर होते हैं जैसे लग्नेश, चतुर्थेश, दशमेश का केंद्र या त्रिकोण में होना इसी तरह सूर्य चंद्र गुरु राहु शनि का इनसे सम्बंधित होना.
छठे घर को सेवा का घर कहते हैं. हमारे अनुभव में आया है कि कुंडली में राहू का संबंध छठे, सातवें, दसवें या ग्यारहवें घर से हो तो व्यक्ति का रुझान राजनीति में देखा गया है. यदि छठे घर का संबंध चतुर्थेश या दशमेश से होता है तो व्यक्ति जनता की सेवा करता है और राजनीति में सफलता पा सकता है. जनता का समर्थन मिलता है. वहीं दूसरा घर धन और वाणी का भाव है यहां अगर गुरु बुध सूर्य हों और छठे घर में मंगल हो तो भी व्यक्ति राजनीति में सफलता पा सकता है.
बारहवें घर का राहु और छठे घर का केतु भी बहुत सहायक बन सकता है. दशमेश और सप्तमेश का सम्बन्ध भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. जिन लोगों की कुंडली में जितने ज्यादा और महत्वपूर्ण योग होते हैं उन्हें राजनीति में अनायास सफलता मिलती जाती है खासकर सूर्य चंद्र गुरु और राहु से बनने वाले योग वहीं शनि से बनने वाले योग में संघर्ष ज्यादा होता है लेकिन सफलता ज्यादा देर तक टिकती है.
प्रत्येक लग्न के अनुसार राजनीति में सफलता के अन्य योग भी हो सकते हैं लेकिन सभी योगों का यहां विवरण देना संभव भी नहीं है. मनुष्य कर्म के लिए स्वतंत्र है और प्रत्येक कुंडली अनूठी हो सकती है.
व्यक्ति को राजनीति में किस स्तर तक सफलता मिलेगी उसके लिए पूरी कुंडली का विश्लेषण जरुरी है.
Astro nirmal