अक्षय नवमी को आंवला पूजन से घर में शांति, आयु एवं संतान वृद्धि होती

अक्षय नवमी को आंवला पूजन से घर में शांति, आयु एवं संतान वृद्धि होती

प्रेषित समय :21:07:03 PM / Sat, Nov 9th, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर

आँवला (अक्षय) नवमी 
 *10 नवम्बर 2024 रविवार को आँवला (अक्षय) नवमी है .*
 *नारद पुराण के अनुसार* 
 *कार्तिके शुक्लनवमी याऽक्षया सा प्रकीर्तता . तस्यामश्वत्थमूले वै तर्प्पणं सम्यगाचरेत् ..* ११८-२३ ..*
*देवानां च ऋषीणां च पितॄणां चापि नारद . स्वशाखोक्तैस्तथा मंत्रैः सूर्यायार्घ्यं ततोऽर्पयेत् .. ११८-२४ ..*
*ततो द्विजान्भोजयित्वा मिष्टान्नेन मुनीश्वर . स्वयं भुक्त्वा च विहरेद्द्विजेभ्यो दत्तदक्षिणः .. ११८-२५ ..*
*एवं यः कुरुते भक्त्या जपदानं द्विजार्चनम् . होमं च सर्वमक्षय्यं भवेदिति विधेर्वयः .. ११८-२६ ..*
 *कार्तिक मास के शुक्लपक्ष में जो नवमी आती है, उसे अक्षयनवमी कहते हैं. उस दिन पीपलवृक्ष की जड़ के समीप देवताओं, ऋषियों तथा पितरों का विधिपूर्वक तर्पण करें और सूर्यदेवता को अर्घ्य दे. तत्पश्च्यात ब्राह्मणों को मिष्ठान्न भोजन कराकर उन्हें दक्षिणा दे और स्वयं भोजन करे. इस प्रकार जो भक्तिपूर्वक अक्षय नवमी को जप, दान, ब्राह्मण पूजन और होम करता है, उसका वह सब कुछ अक्षय होता है, ऐसा ब्रह्माजी का कथन है.*
 *कार्तिक शुक्ल नवमी को दिया हुआ दान अक्षय होता है अतः इसको अक्षयनवमी कहते हैं.*
 *स्कन्दपुराण, नारदपुराण आदि सभी पुराणों के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी युगादि तिथि है. इसमें किया हुआ दान और होम अक्षय जानना चाहिये . प्रत्येक युग में सौ वर्षों तक दान करने से जो फल होता है, वह युगादि-काल में एक दिन के दान से प्राप्त हो जाता है “एतश्चतस्रस्तिथयो युगाद्या दत्तं हुतं चाक्षयमासु विद्यात् . युगे युगे वर्षशतेन दानं युगादिकाले दिवसेन तत्फलम्॥”*
 *देवीपुराण के अनुसार कार्तिक शुक्ल नवमीको व्रत, पूजा, तर्पण और अन्नादिका दान करनेसे अनन्त फल होता है.*
 *कार्तिक शुक्ल नवमी को ‘धात्री नवमी’ (आँवला नवमी) और ‘कूष्माण्ड नवमी’ (पेठा नवमी अथवा सीताफल नवमी) भी कहते है. स्कन्दपुराण के अनुसार अक्षय नवमी को आंवला पूजन से स्त्री जाति के लिए अखंड सौभाग्य और पेठा पूजन से घर में शांति, आयु एवं संतान वृद्धि होती है.*
 *आंवले के वृक्ष में सभी देवताओं का निवास होता है तथा यह फल भगवान विष्णु को भी अति प्रिय है. अक्षय नवमी के दिन अगर आंवले की पूजा करना और आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन बनाना और खाना संभव नहीं हो तो इस दिन आंवला जरूर खाना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि को आंवले के पेड़ से अमृत की बूंदे गिरती है और यदि इस पेड़ के नीचे व्यक्ति भोजन करता है तो भोजन में अमृत के अंश आ जाता है. जिसके प्रभाव से मनुष्य रोगमुक्त होकर दीर्घायु बनता है. चरक संहिता के अनुसार अक्षय नवमी को आंवला खाने से महर्षि च्यवन को फिर से जवानी यानी नवयौवन प्राप्त हुआ था.*

Astro nirmal

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-