हाईकोर्ट बार एसोसिएशन का फैसला, पराली जलाने वालों की अधिवक्ता नहीं करेगें पैरवी, उर्वरक क्षमता पर पड़ता है प्रभाव

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन का फैसला, पराली जलाने वालों की अधिवक्ता नहीं करेगें पैरवी, उर्वरक क्षमता पर पड़ता है प्रभाव

प्रेषित समय :18:28:23 PM / Wed, Nov 20th, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर

पलपल संवाददाता, जबलपुर.एमपी में जबलपुर बार एसोसिएशन ने पराली जलाने वाले किसानों की पैरवी नहीं करने का निर्णय लिया है. सर्वसम्मपति से हाईकोर्ट बार ने यह प्रस्ताव पारित किया है.

बार एसोसिएशन के अध्यक्ष धन्य कुमार जैन का कहना है कि किसानों को यह बताया जाएगा कि पराली का सही तरीके से उपयोग करने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है. पर्यावरण को भी बचाया जा सकता है. किसान अक्सर धान की कटाई के बाद खेतों में लगी पराली को जला देते हैं. इससे प्रदूषण के साथ ही खेत में मौजूद जीव.जंतुओं और पर्यावरण को भी गंभीर नुकसान होता हैं.

गौरतलब है कि जिला प्रशासन ने कई बार किसानों को समझाइश दी. लेकिन इसका असर देखने को नहीं मिला. ऐसे में अब हाईकोर्ट बार आगे आया है. पर्यावरण और जनहित को देखते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट बार ने निर्णय लिया है. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार पराली जलाने से पत्तियों में मौजूद पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं, मृदा के तापमान में वृद्धि होती है. इससे मिट्टी की जैविक संरचना पर भी बुरा असर पड़ता है. साथ ही वायु प्रदूषण बढ़ता है. जिससे धुंध और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता हैं. पराली जलाने से आसपास की फसलों और आबादी में आग लगने का खतरा रहता है. इसके अलावा वायु प्रदूषण के कारण सड़क हादसों और बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है. किसानों को इस प्रथा को रोकना चाहिए और पराली को जलाने के बजाय उसका सही तरीके से उपयोग करना चाहिए.
 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-