MP हाईकोर्ट ने दी अनुमति, नर्सिंग स्टूडेंट्स के रिजल्ट जारी होंगे, जांच में जिन कॉलेजों में कमी मिली, उनकी लिस्ट सार्वजनिक होगी

MP हाईकोर्ट ने दी अनुमति, नर्सिंग स्टूडेंट्स के रिजल्ट जारी होंगे, जांच में जिन कॉलेजों में कमी मिली, उनकी लिस्ट सार्वजनिक होगी

प्रेषित समय :19:38:03 PM / Thu, Nov 21st, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर

जबलपुर. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर ने 8 महीने में नर्सिंग स्टूडेंट्स को दूसरी बड़ी राहत दी है. नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े केस की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सत्र 2019-20 और 2020-21 के नर्सिंग स्टूडेंट के रिजल्ट जारी करने की अनुमति दे दी है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि सीबीआई जांच में कमी पाए गए कॉलेजों की सूची सार्वजनिक की जाए.

जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस अंचल कुमार पालीवाल की डिवीजन बेंच ने गुरुवार को इसकी अनुमति मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी को दे दी है. ऐसे में हजारों छात्र-छात्राओं के परिणाम अब जारी हो सकेंगे. नर्सिंग की वार्षिक/सेमेस्टर परीक्षाएं हाईकोर्ट के आदेश पर मेडिकल यूनिवर्सिटी ने ली थी. रिजल्ट हाईकोर्ट की अनुमति नहीं मिलने की वजह से रुका हुआ था. अब 50 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स के रिजल्ट जारी हो जाएंगे.

सीबीआई जांच में डिफिशिएंट पाए गए कॉलेजों की रिपोर्ट होगी सार्वजनिक

मध्यप्रदेश के करीब 700 नर्सिंग कॉलेजों की हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच कराई. रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट में पेश की गई थी. इसकी एक कॉपी हाईकोर्ट ने नर्सिंग काउंसिल और याचिकाकर्ता को सौंपी थी. आज सुनवाई में हाईकोर्ट ने कहा है कि कमी पाए गए (डिफिशिएंट) कॉलेजों की सूची और इनमें पाई गई कमियों को नर्सिंग काउंसिल की वेबसाइट पर सार्वजनिक किया जाए. आज लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की जनहित याचिका के साथ सभी अन्य नर्सिंग मामलों की सुनवाई हुई. बता दें, हाईकोर्ट की पहली जांच में सूटेबल पाए गए 169 नर्सिंग कॉलेजों की दोबारा जांच भी हाईकोर्ट ने कराई थी. इसमें कई कॉलेज सुटेबल की सूची से बाहर हो गए हैं.

मेडिकल यूनिवर्सिटी ही देगी नर्सिंग कॉलेजों को संबद्धता

याचिकाकर्ता विशाल बघेल ने हाईकोर्ट में आवेदन पेश करते हुए मेडिकल यूनिवर्सिटी के एक्ट के संशोधन को चुनौती दी थी. कोर्ट को बताया गया था कि मेडिकल यूनिवर्सिटी की स्थापना स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में व्यवस्थित, दक्षतापूर्ण, एकरूपता पूर्ण, गुणवत्ता युक्त शिक्षा, शोध सुनिश्चित करने के प्रयोजन से की गई थी. सरकार ने 2024 में एक्ट में संशोधन कर नर्सिंग और पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों की संबद्धता का नियंत्रण क्षेत्रीय विश्वविद्यालय को सौंप दिया. याचिकाकर्ता ने इस निर्णय को कोर्ट में रखते हुए तर्क दिए थे कि अन्य क्षेत्रीय विश्वविद्यालयों के पास स्वास्थ्य संबंधी विषयों की विशेषज्ञता नहीं है. अन्य राज्यों में भी स्वास्थ्य संबंधी कोर्स का संचालन हेल्थ यूनिवर्सिटी ही कर रही हैं. हाईकोर्ट ने वर्तमान परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए निर्देश दिए हैं कि सत्र 2024-25 की संबद्धता प्रक्रिया मेडिकल यूनिवर्सिटी ही करे.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-