प्रिया बिष्ट
सुराग, उत्तराखंड
बेखौफ सी लगती है मेरी ज़िंदगी,
क्या कहूँ, इस ज़िंदगी को,
कभी ख़ुशी है, कभी गम है,
कभी दुख है तो कभी यादें हैं,
बेखौफ है मेरी जिंदगी,
बेखौफ रहनी चाहिए,
खुशहाल है मेरी ज़िंदगी,
खूबसूरत रहनी चाहिए,
इस ज़िंदगी पर नहीं किसी की हुकूमत,
पाबंदी से है बेखौफ मेरी ज़िंदगी॥
चरखा फीचर्स
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