सुप्रीम कोर्ट: संविधान में दर्ज ’समाजवादी’ और ’धर्मनिरपेक्ष’ शब्द भारतीय लोकतंत्र की बुनियादी विशेषताओं को बताते हैं!

सुप्रीम कोर्ट: संविधान में दर्ज ’समाजवादी’ और ’धर्मनिरपेक्ष’ शब्द भारतीय लोकतंत्र की बुनियादी विशेषताओं को बताते हैं!

प्रेषित समय :19:50:56 PM / Tue, Nov 26th, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर

अभिमनोज
भारतीय संविधान के प्रस्तावना में ’समाजवादी’ और ’धर्मनिरपेक्ष’ शब्द जोड़े जाने के खिलाफ दाखिल याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है.
खबरों की मानें तो.... सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि- इमरजेंसी के दौरान हुआ संविधान सशोधन अमान्य नहीं हो सकता है, 1976 में इमरजेंसी के दौरान संविधान संशोधन के जरिये प्रस्तावना में ’समाजवादी’ और ’धर्मनिरपेक्ष’ शब्द जोड़े गए थे.
उल्लेखनीय है कि.... सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को संविधान के प्रस्तावना से ’समाजवादी’ और ’धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को हटाने की मांग करने वाली याचिकाओं पर 22 नवंबर को हुई सुनवाई में फैसला सुरक्षित रखा था.
सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच का कहना था कि- इन शब्दों को संविधान में 42वें संशोधन (1976) के जरिए शामिल किया गया था और ये संविधान के बुनियादी ढांचे का हिस्सा हैं.
अदालत का कहना है कि- संविधान में दर्ज ’समाजवादी’ और ’धर्मनिरपेक्ष’ शब्द भारतीय लोकतंत्र की बुनियादी विशेषताओं को बताते हैं, इन्हें हटाना उचित नहीं है, संविधान को उसके मूल उद्देश्यों से अलग करने का कोई भी प्रयास मंजूर नहीं.
याद रहे.... पूर्व राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी, वकील विष्णु शंकर जैन और अन्य की दायर याचिकाओं में कहा गया था कि- ’समाजवादी’ और ’धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को संविधान में शामिल करना गैर जरूरी और अवैध है, ये शब्द लोगों की निजी स्वतंत्रता और धार्मिक भावनाओं पर असर डालते हैं.
यह भी उल्लेखनीय है कि.... संविधान 1949 में अपनाया गया था, तब संविधान के प्रस्तावना में ’समाजवादी’ और ’धर्मनिरपेक्ष’ शब्द नहीं थे, 1976 में इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान 42वें संविधान संशोधन के तहत संविधान के प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द जोड़े गए थे!

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-