सुप्रीम कोर्ट: अदालत की जिम्मेदारी है कि उस व्यक्ति को निशुल्क कानूनी मदद प्रदान करे, जिसके पास एडवोकेट नहीं हो!

अदालत की जिम्मेदारी है कि उस व्यक्ति को निशुल्क कानूनी मदद प्रदान करे

प्रेषित समय :19:39:34 PM / Tue, Dec 3rd, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर

अभिमनोज
कई बार ऐसा होता है कि जिन आरोपितों के खिलाफ अदालत में सुनवाई होती है, उनके पास अपनी रक्षा के लिए एडवोकेट नहीं होता है.
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि- यह अदालत की जिम्मेदारी है कि वह उस व्यक्ति को निशुल्क कानूनी मदद प्रदान करे, जिसके पास प्रतिनिधित्व के लिए एडवोकेट नहीं हो.
खबरों की मानें तो.... एक मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस अभय एस. ओका, जस्टिस एहसानुद्दीन अमानुल्ला और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह ने कहा कि- हर आरोपित को अपनी रक्षा करने का अधिकार है, जिसकी संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटी दी गई है और अगर आरोपित के पास एडवोकेट है, तो उसको आपराधिक कानून का अच्छा ज्ञान होना चाहिए.
अदालत का मानना है कि- यह कोर्ट की जिम्मेदारी है कि वह व्यक्ति को उचित कानूनी मदद प्रदान करे, अगर आरोपित के पास एडवोकेट नहीं है, तो यह प्रत्येक सरकारी एडवोकेट की जिम्मेदारी है कि वह अदालत को बताए कि आरोपित को निशुल्क कानूनी  सहायता की आवश्यकता है.
अदालत ने यह भी कहा कि- कानूनी मदद केवल दिखावे के लिए नहीं दी जानी चाहिए, वरन वह असरदार भी होनी चाहिए.
अदालत का यह भी कहना है कि- यदि आरोपित को एडवोकेट की मदद नहीं मिल रही है, तो उसे रिमांड और जमानत याचिका दाखिल करने के वक़्त जरूरी सभी  तरह की कानूनी मदद दी जानी चाहिए.
इतना ही नहीं.... सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकारी एडवोकेट की जिम्मेदारी है कि वह यह सुनिश्चित करें कि मुकदमा सही तरीके से और कानून के अनुसार हो, यदि आरोपित को एडवोकेट नहीं मिल रहा है, तो सरकारी एडवोकेट को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आरोपित को कानूनी सहायता प्रदान की जाए, राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण सभी स्तरों पर कानूनी मदद देने वाले एडवोकेट की कार्यकुशलता का मूल्यांकन करें और यह सुनिश्चित करें कि वे कोर्ट में नियमित रूप से हाजिर रहें!

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-