जबलपुर. भारतीय रेलवे में श्रमिक संगठनों की मान्यता के लिए बुधवार 4, 5 व 6 दिसम्बर को होने जा रहे सीक्रेट बैलेट (गुप्त मतदान) की तैयारियां पूरी हो चुकी है. सभी श्रमिक संगठनों ने पूरा जोर अपने-अपने पक्ष में मतदान कराने को लगा चुका है. बात पश्चिम मध्य रेलवे (डबलूसीआर) की करें तो इस रेल जोन में पिछले दोनों चुनावों में वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन (डबलूसीआरईयू) सर्वाधिक वोट पाकर नंबर वन यूनियन का तमगा हासिल किये हुए है. 11 साल बाद हो रहे इस चुनाव में भी रेल कर्मचारियों ने यूनियन को नंबर वन बनाने का पूर्ण रूप से मन बना लिया है.
पश्चिम मध्य रेलवे (डबलूसीआरई) में 52 हजार से अधिक रेल कर्मचारी अपनी पसंदीदा यूनियन के मतदान करेंगे. डबलूसीआर में 5 श्रमिक संगठनों के बीच चुनाव में हैं, जिसमें सबसे मजबूत नंबर वन पर वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन है. अन्य स्थानों के लिए 4 संगठनों में टक्कर कही जा सकती है.
हम हर समय रेल कर्मचारियों की सेवा में मुस्तैद
यूनियन के जबलपुर मंडल अध्यक्ष बीएन शुक्ला व मंडल सचिव रोमेश मिश्रा ने कहा कि हम (डबलूसीआरईयू) हर वक्त रेल कर्मचारियों की समस्याओं के निदान के लिए मुस्तैद रहती है. यूनियन अन्य संगठनों की तरह केवल चुनाव के समय ही बरसाती मेढक की तरह सामने नहीं आते, हम लोग हमेशा ही कर्मचारियों के बीच रहते हैं. यह इसी बात से ही स्पष्ट है कि रेल कर्मचारियों ने यूनियन पर अपना भरपूर आशीर्वाद हमेशा दिया है और नंबर वन यूनियन बनाये हुए है. उन्होंने कहा कि अन्य संगठनों का सीधा संबंध राजनीतिक दलों से है. जिसमें डबलूसीआरएमएम/एनएफआईआर कांग्रेस पार्टी से जुड़ी है तो एक अन्य संगठन का बीजेपी से संबंध है तो एक का वामदलों से जुड़ाव है, केवल एआईआरएफ/डबलूसीआरईयू ही ऐसा संगठन है, जो किसी भी राजनीतिक दलों से सम्बद्ध नहीं है. वह केवल कर्मचारियों के हितों की बात करता है.
हम फिर बनेंगे नंबर वन यूनियन
मंडल अध्यक्ष बीएन शुक्ला, मंडल सचिव रोमेश मिश्रा ने बताया कि यूनियन के महामंत्री कामरेड मुकेश गालव के नेतृत्व में पश्चिम मध्य रेलवे में इस बार यूनियन ही नंबर वन यूनियन बनेगी. यह सिर्फ कर्मचारियों के विश्वास व उनकी निस्वार्थ सेवा के चलते होगा.
विश्वास का दूसरा नाम एआईआरएफ/डबलूसीआरईयू
उन्होंने कहा कि आल इंडिया रेलवेमैंस फेडरेशन (एआईआरएफ) व वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन (डबलूसीआरईयू) रेल कर्मचारियों के बीच विश्वास का नाम है, रेल कर्मचारियों की अनेकोंनेक मांगों को पूरा कराया है. जो कुछ कमी रह गई है, उसे भी यथाशीघ्र पूरा कराया जाएगा. एनपीएस की जगह ओपीएस के लिए जो संघर्ष एआईआरएफ/डबलूसीआरईयू ने शुरू किया था, उसके परिणामस्वरूप यूपीएस के रूप में सफलता मिली है, लेकिन लाभ ओपीएस की तरह मिलने से बचा है, जिसमें ओपीएस में पीएफ की राशि जो कर्मचारी के मासिक वेतन से सेवानिवृति तक काट कर पीएफ खाते में कराया जाता था, जिसका भुगतान कर्मचारी को सेवानिवृति पर प्रभावी ब्याज सहित भुगतान कर दिया जाता था, परन्तु यह प्रावधान वर्तमान यूपीएस में नहीं है. जिसके लिये डब्ल्यूसीआरईयू/एआईआरएफ यूपीएस में जमा राशि को कर्मचारी की सेवानिवृत्ति के समय ब्याज सहित भुगतान करवाने के लिये संघर्ष कर रही है.
जिसको निश्चित रूप से सरकार से लड़ाई लड़ कर प्राप्त कर लिया जायेगा. तब तक डब्ल्यूसीआरईयू/एआईआरएफ का संघर्ष यूपीएस को ओपीएस से भी बेहतर बनाने तक जारी रहेगा.
इसी प्रकार आठवे वेतन आयोग का गठन करवाने के लिये डब्ल्यूसीआरईयू/एआईआरएफ पुरजोर तरीके से सरकार पर दबाव बनाए हुए है. डब्ल्यूसीआरईयू/एआईआरएफ सही समय पर रेलकर्मचारियों को आठवां वेतन आयोग दिलवाने के लिये पुरजोर प्रयास कर रही है, जिससे रेलकर्मचारियों के वेतन व पदोन्नति के अवसरों में वृद्धि होगी. साथ ही रेलवे में हो निजीकरण के विरूद्ध भी डब्ल्यूसीआरईयू/एआईआरएफ भरपूर विरोध कर रही है. किसी भी सूरत में रेलवे में निजीकरण नहीं होने दिया जायेगा.
इन मांगों को भी पूरा करायेंगे.
श्री शुक्ला व श्री मिश्रा तथा यूनियन के पूर्व मंडल सचिव नवीन लिटोरिया ने कहा कि यूनियन महामंत्री का. मुकेश गालव के नेतृत्व में कर्मचारियों की लंबित मांगों रेल का निजीकरण रोकना, 18 माह का बकाया डीए का भुगतान, 8 वा वेतन आयोग, ट्रैक पर काम करने वाली सभी कैटेगरी को हार्ड शिप एवं रिस्क एलाउंस, एलडीसीई ओपन टू ऑल, सभी कर्मचारियों के लिये 4600 ग्रेड पे तक पदोन्नति के अवसर खोलना, एमएसीपीएस 10,20,30 के स्थान पर 8,16,24,32 करवाना, एमएसीपीएस की पदोन्नति गुड एपीएआर के आधार पर करवाना, महिलाओं को मिलने वाले 20 प्रतिशत काटी गई चाईल्ड केयर लीव पुन: बहाल करवाना, वर्कशॉप में काम करने वाले सभी कर्मचारियों के लिये बढ़ाये गये लॉट के आधार पर इंसेंटिव दर बढ़वाना, सभी ग्रु सी एवं डी कर्मचारियों को बिना सीलिंग लिमिट के नाईट डयूटी एवं एनएच का भुगतान करवाना, पोस्ट सरेण्डर बन्द करवाया तथा क्रिएशन से बैन हटवाना, कैडर रिस्ट्रक्चरिंग कमेटी की सिफारिशों को अन्तिम रूप देकर लागू करवाना आदि मांगों की पूर्ति तक यूनियन और फेडरेशन का संघर्ष जारी रहेगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-