इसलिए.... इंदौर कोर्ट ने चूड़ीवाले तस्लीम को किया बरी!

इसलिए.... इंदौर कोर्ट ने चूड़ीवाले तस्लीम को किया बरी!

प्रेषित समय :20:16:48 PM / Wed, Dec 4th, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर

अभिमनोज
कई बार सरकारी कागजों में दर्ज गलत जानकारियां विवाद का कारण बन जाती हैं, ऐसे ही एक मामले में मध्यप्रदेश के इंदौर की एक अदालत ने चूड़ी बेचने वाले तस्लीम अली को सभी आरोपों से बरी कर दिया है.
खबरों की मानें तो.... तस्लीम अली पर 2021 में एक नाबालिग लड़की से छेड़छाड़ और फर्जी नाम से व्यापार करने का आरोप लगा था, जिसके बाद काफी सियासी विवाद भी हुआ था.
इस मामले में अदालत का कहना है कि- अभियोजन पक्ष तस्लीम अली पर लगे आरोप साबित करने में नाकाम रहा है.
उल्लेखनीय है कि.... 22 अगस्त 2021 के दिन उत्तर प्रदेश के हरदोई निवासी 25 वर्षीय तस्लीम अली, इंदौर के बाणगंगा क्षेत्र में चूड़ियां बेच रहे थे, तभी भीड़ ने उन पर फर्जी पहचान और नाबालिग से छेड़छाड़ जैसे आरोप लगाते हुए हमला कर दिया था.
तस्लीम अली ने भी अपने ऊपर हुए हमले की पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद उनके कथित हमलावरों को गिरफ्तार भी किया गया था.
खबरों पर भरोसा करें तो.... तस्लीम पर भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (महिला की लज्जा भंग करना), 354-ए (यौन उत्पीड़न), 467 (जालसाजी), 468, 471, 420 (धोखाधड़ी), 506 (धमकी) और पॉक्सो अधिनियम की धारा 8 (यौन उत्पीड़न) के तहत मामला दर्ज किया गया था, इसके बाद तस्लीम अली को करीब चार महीने जेल में बिताने पड़े, हालांकि 2021 में एमपी हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी और कहा कि- आरोपों की प्रकृति के मद्देनजर उन्हें हिरासत में रखने की जरूरत नहीं है और तस्लीम का कोई आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं है.
उल्लेखनीय है कि.... अदालत में सुनवाई के दौरान, हरदोई के बीरैचमऊ ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधियों ने अदालत को बताया कि वे तस्लीम को ’मुस्लिम बंजारा’ के रूप में जानते हैं, वह विभिन्न प्रदेशों में चूड़ियां बेचता है.
दो आधार कार्ड के मामले में अदालत ने पाया कि एक में उसका नाम ’गोलू सिंह’ लिखा था, इस पर उसके एडवोकेट ने स्पष्ट किया कि- ’गोलू’ एक उपनाम था, जबकि ’सिंह’ गलती से उनके पिता के उपनाम से लिया गया था, जो एक आधिकारिक दस्तावेज में गलत दर्ज हो गया था.
इस मामले में अदालत में एक स्थानीय अधिकारी ने अपने बयान में यह माना कि- मतदाता पहचान पत्र अक्सर आधिकारिक दस्तावेजों के मिलान के बजाय नामों की यादों के आधार पर जारी किए जाते हैं, जिसके कारण वास्तविक नामों और उपनामों के बीच अक्सर विसंगतियां हो जाती हैं, यही नहीं, तस्लीम के पिता के पहचान दस्तावेजों में भी ऐसी ही गलतियां थीं, एक तकनीकी गलती के कारण, तस्लीम के पिता, मोहर अली, को सरकारी कागजात में ’मोहर सिंह’ के नाम से दर्ज किया गया था!

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-